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Tuesday, 17 July 2018

गुरु के बिना जिन्दगी का कोई मोल नहीं

हमारे यहाँ एक कहावत बोलते हैं की गुरु बिन ज्ञान नही गुरु के बिना जिन्दगी का कोई मोल नही। इस लिये अपने जीवन में एक गुरु होना जरुरी हैं हम ये नहीं कहते की केवल आध्यात्मिक गुरु होता हैं।  हर मोड़ पर व्यक्ति के  जीवन में अनेक गुरु आते हैं जैसे स्कूल में पढ़ाने वाला गुरु होता जो हमें शिक्षा देता उसी प्रकार हमारे माता पिता भी हमारे गुरु होते जो हमें जीने का डंग सीकाते  हैं इस प्रकार हर वो व्यक्ति जो हमें कुछ जान देता हैं जिस के कारण हमारी जिंदगी स्राथक होती हैं वो सब गुरु के जैसे हैं पौराणिक काल से ही गुरु ज्ञान के प्रसार के साथ-साथ समाज के विकास का बीड़ा उठाते रहे हैं। गुरु शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है- ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान) एवं ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश (ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। शास्त्रों में गुरु का महत्त्व बहुत ऊँचा है। गुरु की कृपा के बिना भगवान् की प्राप्ति असंभव है। जिनके दर्शन मात्र से मन प्रसन्न होता है, अपने आप धैर्य और शांति आ जाती हैं, वे परम गुरु हैं। जिनकी रग-रग में ब्रह्म का तेज व्याप्त है, जिनका मुख मण्डल तेजोमय हो चुका है, उनके मुख मण्डल से ऐसी आभा निकलती है कि जो भी उनके समीप जाता है वह उस तेज से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता।

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