मीरजापुर ।माँ के दरबार का ऐसा प्रसाद जो भक्तों की करता है रक्षा और दुश्मनों करता है परेशान ।माँ के दरबार से दर्शन के बाद आप प्रसाद में कभी लाठी लेकर घर गए है अगर नहीं तो शक्ति पीठ विन्ध्याचल धाम की महिमा कुछ निराली है जहा भक्त प्रसाद में रक्षा के लिए लाठिया साथ में लेकर जाते है ।शक्ति पीठ विन्ध्याचल धाम में नवरात्रि मेले में आये श्रद्धालु विन्ध्याचली लट्ठ को ले जाना नहीं भूलते | शक्ति स्वरूप माता रानी के इस प्रसाद को भक्त अपने हाँथ में रखने पर शक्ति महसूस करते है | तीर्थ पुरोहित पं० तरुण पाण्डेय बताते है की माता के इस प्रसाद को भक्त अनादी काल से ही साथ में ले जाते है मान्यता है की माँ के शक्ति रूपी लाठी से पुरे परिवार की रक्षा होती है । तीर्थ पुरोहित पं. शिवराम मिश्र बताते है की माँ के इस प्रसाद के बल पर अहित चाहने वाला कोई भी इन्सान उस परिवार का कुछ भी बिगड़ नहीं सकता जिसके घर माता के दरबार का लाठी रखा हो बहुत सी विपत्तिया तो प्रसाद स्वरुप लाठी के घर में रखते ही गायब हो जाती है । तीर्थ पुरोहित पं. शिवराम मिश्र बताते है की माँ विंध्यवासिनी को पुष्प,धुप,दीप, माला,फूल के साथ नारियल व लाचीदाना चढाने वाले भक्त लाठी को भी प्रसाद मानते हैं | अपनी मजबूती के चलते प्रसिद्द मिर्जापुरी लाठी सुरक्षा, सहारा व स्वाभिमान का बोध कराती है | भक्त माता रानी के दरबार में अपनी मन्नते लेकर आते है और साथ में प्रसाद के रूप में लाठी ले जाते है जिससे उनका मनोबल ऊँचा रहता है | तीर्थ पुरोहित पं० आनंद मोहन मिश्र के मुताबित आदिकाल से लाठी स्वाभिमान का प्रतीक रहा है , मुसीबत में हर वक्त लाठी का सहारा उसी प्रकार मिलता है जैसे जगत का पालन करने वाली माता अपने भक्त पर दया बरसाते हुए हर कष्टों से उबार लेती है |नवरात्र में भक्तो की संख्या बढ़ने के साथ ही माता रानी के इस प्रसाद की मांग भी बढ़ जाती है जिसके लिए कई महीने पहले ही दुकानदार लाठी के निर्माण में लग जाते है ताकि भक्तो को प्रसाद आराम से सबको मिल सके । फूलचंद लाठी विक्रेता फूलचंद ने बताया की वह दो माह पूर्व से लाठी की तैयारी में लग जाते है । मनीष ने कहा अच्छे बांस की तलाश के लिए अब भटकना पड़ता है । नवरात्र में माता विंध्यवासिनी के दरबार में आने वाले भक्तो की मांग से मिर्जापुरी लाठी की बिक्री में तेजी आ जाती है | प्रसाद के रूप में लाठी भक्तो का पग - पग पर सहारा बनती है | बदलते दौर में भले ही लाठी का प्रचलन कम हो गया हो पर माँ के आशीर्वाद से जुड़ा होने कि मान्यता ने आज भी इसे भक्तों की भावना से जोड़ रखा है |
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