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Friday, 7 April 2017

ग्रामीण जीवन और समस्या

जौनपुर। गांव सम्पन्न है।खुशहाल है।आपसी विद्वेष से जीवन नरक बना है।
लोग रिहुर-रिहुर जीवन व्यतीत कर रहे है।एक दूसरे को पटकनी देने का प्रयास होता है।परिवार टूट कर बिखर चुका है।कुछ ही ऐसे परिवार है जो संयुक्त रुप से चल रहे है और आनन्द मे जीवन व्यतीत कर रहे है। गांवो मे छोटे  छोटे गुट है। जो एक दूसरे से खार खाये रहते है। आपसी दुश्मनी विकास मे बाधक है।डाड मेड के झगडे ,खानदानी दुश्मनी प्रधानी चुनाव को लेकर वोट की राजनीति से गांव मे अराजकता का माहौल बना रहता है।कुछ लोग ऐसे होते है जो फुरसत मे होते है और दिनभर गांव मे घूमते रहते है
इधर की बात उधर करते है और झगड़ा लगाते है।जब दो आपस मे भिड जाते है,गाली गलौज हो जाता है तो उनको मजा मिलता है। जटिलता  मे जीवन व्यतीत कर रहा कोई व्यक्ति यदि अच्छा करना चाहता है,तो उसका जमकर विरोध होता है। उसके सामने मुश्किले पैदा की जाती है।ताकि वह टूट कर बिखर जाय।जैसे पाकिस्तान को लेकर भारत हमेशा सजग रहता है, वैसे ही पड़ोसी से गावो मे लोग सतर्क रहते है। पड़ोसी कब पैंतरा देकर घायल कर देगा कुछ कहाँ नहीं जा सकता है। गांव की एक बहुत ही अच्छाई है।मरने पर सभी जुटते है।शोक व्यक्त करते है।श्मशान काशी ले जाते है। शव का दाह संस्कार करते है।गंगा स्नान करते है। जमकर पूड़ी मिठाई खाते है।शराब पीते है। तेरही मे जब पूड़ी खाना होता है तो
नाटक करते है।अच्छा वो फला खायेगे तो हम नहीं खायेगे। मनमनिया होगी तब जाकर छक कर खायेगे। गांवो मे भूत -प्रेत के भी झगडे है। गावो की प्रकृति अच्छी है। विकास हुआ है।कुछ छोटभैये नेता कि वजह से गावो का माहौल खराब हो रहा है।   लेखापाल बन्धु और हल्का सिपाही गावो मे सक्रिय है।लेकिन इनके कारनामे मंगल की जगहअमंगल पैदा कर रहे है।
जे डी सिंह सतगुरु धाम

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