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Friday, 15 December 2017

धार्मिक पक्षपात आत्मिक ज्ञान के रास्ते मे बाधक, संत महात्मा सच्चे ज्ञान के मालिक

बनारस।जो लोग मजहबों की शरीयत के पाबन्द हैं उनसे विनती की जाती हैं कि जरा ठंडे दिल से सोचे की धार्मिक पक्षपात आत्मिक ज्ञान के रास्ते मे विशेष रुकावट हैं।शरीयत सब मजहबों की अलग अलग है परन्तु आत्मिक ज्ञान सब मजहबों का सांझा हैं।जैसे कि गुरु रामदास साहिब ने फरमाया हैं।खत्री ब्राह्मण सूद वैस उपदेसु चहु कउ साझा।।गुरुमुखि नामु जपै उधरै सो कलि महि घटि घटि नानक माझा।।आत्मिक ज्ञान एक अमली इल्म हैं जो केवल अनुभव से संबंध रखता हैं और अक्ल और इल्म की हद से परे हैं।यह समझने की बात हैं कि जितने ग्रन्थ और शास्त्र हैं, उनमें रुहानी बातें और नजारों का वर्णन है परन्तु रुहानी नजारे नहीं।यहां तक की वर्णन भी पूरा नहीं।उनके बारे मे केवल इशारे ही इशारे  हैं।महात्माओं ने अपने अन्दर जो देखा,उसको पुस्तकों के पृष्ठों में लाने की पूरी कोशिश की परन्तु वह शब्दों की हद मे आने वाली वस्तु नहीं हैं।वे नजारे केवल अनुभव से संबंध रखते हैंऔर लिखने पढ़नेऔर बोलने की सीमा से परे हैं।मिलि सखीया पूछहिं कहु कंत नीसाणी।।रसि प्रेम भरी कछु बोलि न वाणी।।रुहानियत की नींव केवल किसी रुहानियत के विशेषज्ञ के ही द्वारा ही किसी मनुष्य के हृदय मे रखी जा सकतीं हैं।हमारे विश्वास का नतीजा केवल विचारों की खुश्क फिलासफी या दूसरों की शिक्षा पर निर्भर हैं।संत महात्मा परमार्थ के अंदरुनी भेंदों के ज्ञाता होते हैं और पूरे और सच्चे ज्ञान के मालिक होतें हैं।मन्दिरों, मस्जिदों या धर्म
स्थानों पर जाना ,ग्रन्थों और.पोथियों का पढ़ना,नमाज,पूजा, पुन -दान और तीर्थों की यात्रा इत्यादि बाहर की क्रियाएं हैं।जप,तप संयम आदि का करना जो हृदय की सफाई के लिए बनाए गए हैं, ये भी शरीयत मे शामिल हैं और दाई का काम करते हैं।तरीकत माता का काम करती हैं।यह याद रखने की बात हैं कि बच्चे की जन्म दाती तो केवल मां ही हुआ करती हैं और दूध जैसी खुराक भी मां से ही मिल सकती हैं।दाइ तो केवल बच्चे के जनने में थोड़ी सी मदद देती हैं।कर्म-धर्म और पूजा पाठ इत्यादि से न तो मालिक का प्रेम उपजाता हैं और न हीं मालिक मिलता हैं।इनसे  केवल हृदम रुपी धरती तैयार हो सकतीं हैं जिसमें रुहानियत का बीज डाला जा सके। धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा,हाजर नाजर जिन्दाराम तेरा ही आसरा।। साभार डोली हुई दुनिया का सहारा, सच्चा जीवन। दास गुरुबख्श सिंह 【मैनेजर 】की लिखी पुस्तक से।पूज्य परमसंत मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली सिरसा हरियाणा 
जे डी सिंह

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