गूगल एक अमेरीकी बहुराष्ट्रीय सार्वजनिक कम्पनी है, जिसने इंटरनेट सर्च, क्लाउड कम्प्यूटिंग और विज्ञापन तंत्र में पूँजी लगायी है। यह इंटरनेट पर आधारित कई सेवाएँ और उत्पाद[2] बनाता तथा विकसित करता है और यह मुनाफा मुख्यतया अपने विज्ञापन कार्यक्रम ऐडवर्ड्स (AdWords) से कमाती है।[3][4] यह कम्पनी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पी॰एच॰डी॰ के दो छात्र लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन द्वारा स्थापित की गयी थी। इन्हें प्रायः "गूगल गाइस"[5][6][7] के नाम से सम्बोधित किया जाता है। सितम्बर 4, 1998 को इसे एक निजि-आयोजित कम्पनी में निगमित किया गया। इसका पहला सार्वजनिक कार्य/सेवा 19 अगस्त 2004 को प्रारम्भ हुआ। इसी दिन लैरी पेज, सर्गेई ब्रिन और एरिक स्ख्मिड्ट ने गूगल में अगले बीस वर्षों (2024) तक एक साथ कार्य करने की रजामंदी की। कम्पनी का शुरूआत से ही "विश्व में ज्ञान को व्यवस्थित तथा सर्वत्र उपलब्ध और लाभप्रद करना" कथित मिशन रहा है। कम्पनी का गैर-कार्यालयीन नारा, जोकि गूगल इन्जीनियर पौल बुखीट ने निकाला था— "डोन्ट बी इवल (बुरा न बनें)"। सन् 2006 से कम्पनी का मुख्यालय माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया में है।
गूगल
गूगल का प्रतीक-चिह्न
प्रकारसार्वजनिक
उद्मोगइंटरनेट
कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर
स्थापना
मेन्लो पार्क, कैलिफ़ोर्निया
(4 सितंबर 1998)
founder = सर्गेइ ब्रिन
लैरी पेज
मुख्यालयगूगलप्लेक्स
माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया,
संयुक्त राज्य अमेरिका
क्षेत्रविश्वव्यापी
प्रमुख व्यक्तिसुंदर पिचाई
(सह-संस्थापक एवं सीईओ)
एरिक श्मिट
(कार्यकारी अध्यक्ष)
सर्गेइ
(सह-संस्थापक)
उत्पादगूगल उत्पादों की सूची देखें।
राजस्वGreen Arrow Up Darker.svg US$ 29.321 अरब (2010)[1]
प्रचालन आयGreen Arrow Up Darker.svg US$ 10.381 अरब (2010)[1]
निवल आयGreen Arrow Up Darker.svg US$ 8.505 अरब (2010)[1]
कर्मचारी26,316 (मार्च 31, 2011)[1]
सहायक कंपनियाँयूट्यूब, डबलक्लिक, On2 टेक्नोलॉजीज़, गूगल वॉयस, पिकनिक (सॉफ़्टवेयर), आद्वर्क, ऐडमॉब
वेबसाइटwww.google.com
गूगल विश्वभर में फैले अपने डाटा-केन्द्रों से दस लाख से ज़्यादा सर्वर चलाता है और दस अरब से ज़्यादा खोज-अनुरोध तथा चौबीस पेटाबाईट उपभोक्ता-सम्बन्धी जानकारी (डाटा) संसाधित करता है। गूगल की सन्युक्ति के पश्चात् इसका विकास काफ़ी तेज़ी से हुआ है, जिसके कारण कम्पनी की मूलभूत सेवा वेब-सर्च-इंजन के अलावा, गूगल ने कई नये उत्पादों का उत्पादन, अधिग्रहण और भागीदारी की है। कम्पनी ऑनलाइन उत्पादक सौफ़्ट्वेयर, जैसे कि जीमेल ईमेल सेवा और सामाजिक नेटवर्क साधन, ऑर्कुट और हाल ही का, गूगल बज़ प्रदान करती है। गूगल डेस्कटॉप कम्प्युटर के उत्पादक सोफ़्ट्वेयर का भी उत्पादन करती है, जैसे— वेब ब्राउज़र गूगल क्रोम, फोटो व्यवस्थापन और सम्पादन सोफ़्ट्वेयर पिकासा और शीघ्र संदेशन ऍप्लिकेशन गूगल टॉक। विशेषतः गूगल, नेक्सस वन तथा मोटोरोला ऍन्ड्रोइड जैसे फोनों में डाले जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम ऍन्ड्रोइड, साथ-ही-साथ गूगल क्रोम ओएस, जो फिलहाल भारी विकास के अन्तर्गत है, पर सीआर-48 के मुख्य ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में प्रसिद्ध है, के विकास में अग्रणी है। एलेक्सा google.com को इंटरनेट की सबसे ज़्यादा दर्शित वेबसाइट बताती है। इसके अलावा गूगल की अन्य वेबसाइटें (google.co.in, google.co.uk, आदि) शीर्ष की सौ वेबासाइटों में आती हैं। यही स्थिती गूगल की साइट यूट्यूब और ब्लॉगर की है। ब्रैंडज़ी के अनुसार गूगल विश्व का सबसे ताकतवर (नामी) ब्राण्ड है। बाज़ार में गूगल की सेवाओं का प्रमुख होने के कारण, गूगल की आलोचना कई समस्याओं, जिनमें व्यक्तिगतता, कॉपीराइट और सेंसरशिप शामिल हैं, से हुई है।
मुख्य लेख : गूगल का इतिहास
गूगल का प्रारम्भिक मुखपृष्ठ एक साधारण डिजाइन था, क्योंकि इसके संस्थापक वेब पेज डिजाइनिंग की भाषा, एचटीएमएल (HTML) में अनुभवी नहीं थे।
गूगल की शुरुआत 1996 में एक रिसर्च परियोजना के दौरान लैरी पेज़ तथा सर्गेई ब्रिन ने की। उस वक्त लैरी और सर्गी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफ़ोर्निया में पी॰एच॰डी॰ के छात्र थे। उस समय, पारम्परिक सर्च इंजन सुझाव (रिजल्ट) की वरीयता वेब-पेज पर सर्च-टर्म की गणना से तय करते थे, जब कि लैरी और सर्गेई के अनुसार एक अच्छा सर्च सिस्टम वह होगा जो वेबपेजों के ताल्लुक का विश्लेषण करे। इस नये तकनीक को उन्होंने पेजरैंक (PageRank) का नाम दिया। इस तकनीक में किसी वेबसाइट की प्रासंगिकता/योग्यता का अनुमान, वेबपेजों की गिनती, तथा उन पेजों की प्रतिष्ठा, जो आरम्भिक वेबसाइट को लिंक करते हैं के आधार पर लगाया जाता है।
1996 में आईडीडी इन्फ़ोर्मेशन सर्विसेस के रॉबिन ली ने “रैंकडेक्स” नामक एक छोटा सर्च इंजन बनाया था, जो इसी तकनीक पर काम कर रहा था। रैंकडेक्स की तकनीक को ली ने पेटेंट करवा लिया और बाद में इसी तकनीक पर उन्होंने बायडु नामक कम्पनी की चीन में स्थापना की। पेज और ब्रिन ने शुरुआत में अपने सर्च इंजन का नाम “बैकरब” रखा था, क्योंकि यह सर्च इंजन पिछली कड़ियाँ (backlinks) के आधार पर किसी साइट की वरीयता तय करता था।
अंततः, पेज और ब्रिन ने अपने सर्च इंजन का नाम गूगल (Google) रखा। गूगल अंग्रेज़ी के शब्द “गूगोल” की गलत वर्तनी है, जिसका मतलब है− वह नंबर जिसमें एक के बाद सौ शून्य हों। naamनाम “gooगूगल” इस बात को दर्शाता है कि कम्पनी का सर्च इंजन लोगों के लिए जानकारी बड़ी मात्रा में उपलब्ध करने के लिए कार्यरत है। अपने शुरुआती दिनों में गूगल स्टैनफौर्ड विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अधीन google.stanford.edu नामक डोमेन से चला। गूगल के लिए उसका डोमेन नाम 15 सितंबर 1997 को पंजीकृत हुआ। सितम्बर 4, 1998 को इसे एक निजी-आयोजित कम्पनी में निगमित किया गया। कम्पनी का पहला कार्यालय सुसान वोज्सिकि (उनकी दोस्त) के गराज मेनलो पार्क, कैलिफोर्निया में स्थापित हुआ। क्रेग सिल्वरस्टीन व एक साथी पीएचडी छात्र कम्पनी के पहले कर्मचारी बनें।
वित्तीयन और आरम्भिक सार्वजनिक सेवाएँसंपादित करें
गूगल के निगमन से पहले ही एंडी बेख़्टोल्शीम, सन माइक्रोसिस्टम्स के सहसंस्थापक, ने अगस्त 1998 में गूगल को एक लाख़ डॉलर की वित्तीय सहायता दी। 1999 के शुरुआत में जब वे स्नातक के छात्र थे, ब्रिन और पेज को लगा कि वे सर्च इंजन पर काफ़ी समय व्यतीत कर रहे हैं और पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, इस कारण उन्होंने इसे बेचने का निर्णय लिया और एक्साइट कम्पनी के सीईओ जॉर्ज बेल को दस लाख़ में बेचने का प्रस्ताव रखा, उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया और बाद में अपने इस फैसले के लिए विनोद खोसला की आलोचना की। जबकि खोसला ने 750,000 डॉलर में कम्पनी खरीदने की ब्रिन और पेज से बात भी कर ली थी। तब खोसला एक्साइट के उद्यम पूँजीपति थे। 7 जून 1999 को कम्पनी में 250 लाख़ डॉलर लगाने की घोषणा की गयी, यह घोषणा प्रमुख निवेशकों के सहित उद्यम पूंजी कम्पनी क्लीनर पर्किन्स कौफ़ील्ड एन्ड बायर्स तथा सीकोइया कैपीटल के तरफ़ से की गयी।
गूगल की आरम्भिक सार्वजनिक सेवाएँ (IPO) पाँच साल बाद 19 अगस्त 2004 से चालु हुई। कम्पनी ने अपने 1,96,05,052 शेयरों का दाम 85 डॉलर प्रति शेयर रखा। शेयरों को बेचने के लिए एक अनूठे ऑनलाइन निलामी फ़ॉर्मेट का इस्तेमाल किया गया। इसके लिए मॉर्गन स्टेनली और क्रेडिट सुइस, जो कि इस निलामी के बीमाकर्ता थे, द्वारा बनाये गये एक प्रणाली का उपयोग किया गया। 1.67 अरब डॉलर की बिक्री ने गूगल को बाज़ार में 23 अरब डॉलर से अधिक की राशि से बाजार पूंजीकरण किया। 2,710 लाख शेयरों का विशाल बहुमत गूगल के नियंत्रण में रहा और काफी गूगल कर्मचारी शीघ्र ही कागज़ी लखपति बन गये। याहू! (Yahoo!), गूगल का प्रतिद्वंद्वी, को भी बड़ा फ़ायदा हुआ, क्योंकि उस समय याहू! के पास गूगल के 84 लाख शेयरों का स्वामित्व था।
कुछ लोगों को लगा कि गूगल का यह आईपीओ निस्संदेह कम्पनी संस्कृति में हेर-फेर करेगा। इसके कई कारण थे, जैसे कि शेयरधारकों का कम्पनी पर उसके कर्मचारियों को होने वाले लाभ में कटौती के लिए दबाव, क्योंकि यह एक तथ्य था कि कम्पनी को हुए बड़े फायदे से कई कर्मचारी शीघ्र कागज़ी लखपति बन गये थे। इसकी जवाबदेही में सह-संस्थापक सर्गेई ब्रिन और लैरी पेज ने एक रिपोर्ट में अपने सम्भावित निवेशकों को यह आश्वासन दिया कि कम्पनी के आईपीओ से कम्पनी के कार्य करने की प्रणाली में कोई अनचाहा बदलाव नहीं होगा। वर्ष 2005 में यद्यपि, द न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे लेखों तथा अन्य सूत्रों से ऐसा लगने लगा कि गूगल अपने "एंटी-कॉर्पोरेट, नो इवल" सिद्धांत से भटक रहा है। कम्पनी ने इस विशिष्ट कार्य-प्रणाली को बनाये रखने के लिए एक मुख्य संस्कृति अधिकारी का पद नियुक्त किया। इस पद का अधिकारी मानव संसाधन निदेशक भी होता है। मुख्य संस्कृति अधिकारी का उद्देश्य कम्पनी में कम्पनी के सिद्धांत को विकसित करना तथा उसे बनाये रखना है। इसके साथ-साथ उन विषयों पर भी काम करना है, जिनसे कम्पनी अपने मूलभूत सिद्धांत: एक स्पष्ट संगठन के साथ एक सहयोगपूर्ण परिवेश पर कायम रहे। गूगल को अपने पूर्व कर्मचारियों से लैंगिक भेद-भाव तथा वृद्धों के प्रति अनुचित व्यवहार जैसे आरोपों का भी सामना करना पड़ा है।
ऑनलाइन विज्ञापन से हुई भारी बिक्री और आय से आईपीओ के बाद बाकी बचे शेयरों का प्रदर्शन भी बाज़ार में अच्छा रहा, उस समय पहली बार 31 अक्टूबर 2007 को शेयरों का दाम 700 डॉलर हुआ था। शेयरों के दाम में बढोतरी का मुख्य कारण व्यक्तिगत निवेशक थे, न कि प्रमुख संस्थागत निवेशक और म्यूचुअल फंड। गूगल, अब नैस्डैक स्टॉक एक्सचेंज में टिकर चिन्ह GOOG तथा फ़्रैंकफ़र्ट शेयर बाज़ार में टिकर चिन्ह GGQ1 से सूचीबद्ध है।
विकाससंपादित करें
मार्च 1999 में कम्पनी ने अपने कार्यालयों को पालो अल्टो, कैलिफ़ोर्निया में स्थानान्तरित किया, जो कि कई अन्य बड़ी सिलिकॉन वैली कम्पनियों का ठिकाना है। इसके एक वर्ष बाद पेज और ब्रिन के शुरूआती विमुखता के बावजूद, गूगल ने खोज-शब्दों/संकेतशब्द (Keywords) से जुड़े विज्ञापनों को बेचना शुरू किया। खोज-पृष्ठ को साफ-सुथरा तथा गति बनाये रखने के लिए, विज्ञापन केवल पाठ आधारित थे। संकेतशब्द की बिक्री उसकी बोली तथा क्लिकों के संयोजन के आधार पर की जाती थी। इसके लिए न्यूनतम बोली पाँच सेन्ट प्रति क्लिक थी। संकेतशब्द से विज्ञापनों को बेचने का यह मॉडल पहली बार गोटू.कॉम (Goto.com)—आइडियालैब के बिल ग्रौस का एक उपोत्पाद द्वारा किया गया। इस कम्पनी ने अपना नाम ओवरचर सर्विसेस रख लिया और गूगल पर उसके ॠण-प्रति-क्लिक और बोली के पेटेंट्स का कथित उल्लंघन करने का मुकदमा किया। ओवरचर सर्विसेस बाद में याहू द्वारा खरीद लिया गया और इसका नया नाम याहू! सर्च मार्केटिंग रखा गया। पेटेंट्स के उल्लंघन का मामला आपस में सुलझा लिया गया। इसके लिए गूगल ने अपने सामान्य शेयरों में से कुछ की हिस्सेदारी याहू! को दी और उसके बदले पेटेंट्स का शाश्वत लाईसेंस अपने नाम करवा लिया।
उसी समय गूगल को अपने पृष्ठ-वरियता (PageRank) तंत्र के पेटेंट की प्राप्ति हुई। यह पेटेंट आधिकारिक तौर पर स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को सौंपा गया था और आविष्कारक के रूप में लॉरेंस पेज को सूचीबद्ध करता है। 2003 में दो अन्य कार्यालयों को कम पड़ता देखते हुए, कम्पनी ने अपना वर्तमान कार्यालय सिलिकॉन ग्राफ़िक्स से लीज़ पर 1600 एम्फीथिएटर पार्कवे, माउंटेन व्यु, कैलिफ़ोर्निया में चालू किया। गूगल का यह कार्यालय परिसर गूगलप्लेक्स के नाम से जाना जाता है, यह अंग्रेज़ी शब्द googolplex का तर्क है, जिसका मतलब/मान है 1010100। तीन वर्ष पश्चात्, गूगल ने 319 मिलियन डॉलर में सिलिकॉन ग्राफ़िक्स से अपना कार्यालय परिसर खरीद लिया। तब तक, “गूगल” रोज़मर्रा में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द बन चुका था। इस कारण शब्द “गूगल” मेरियम वेबस्टर शब्दकोश औरऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश में “जानकारी प्राप्त करने के लिए गूगल सर्च इंजन का प्रयोग” के परिभाषा से शामिल कर लिया गया।
अधिग्रहण और भागीदारीसंपादित करें
मुख्य लेख : गूगल द्वारा की गयी अधिग्रहणों सूची
2001 से गूगल ने मुख्यतया लघु उद्यम पूंजी कम्पनियों पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हुए, कई कम्पनियों को अधिकृत किया। 2004 में गूगल ने कीहोल, निग को अधिकृत किया। उस समय कीहोल ने अर्थ व्युवर नाम से एक सॉफ्टवेयर तैयार किया था जो पृथ्वी का त्रिआयामी दृश्य प्रदर्शित करता था। 2005 में गूगल ने इसे गूगल अर्थ का नाम दिया। 2007 में गूगल ने ऑनलाइन विडियो साइट यूट्यूब को 1.65 अरब डॉलर में खरीद लिया। 13 अप्रैल 2007 को गूगल ने डबलक्लिक नामक कम्पनी को 3.1 अरब डॉलर में अधिकृत किया। इस अधिग्रहण से गूगल को डबलक्लिक के साथ-साथ उसके वेब प्रकाशकों और विज्ञापन एजेंसियों से अच्छे सम्बन्धों की अमूल्य प्राप्ति हुई। बाद में उसी वर्ष गूगल ने 50 मिलियन डॉलर में ग्रैंडसेंट्रल को खरीदा। इसे बाद में गूगल वॉयस का नाम दिया गया। 5 अगस्त 2009 को गूगल ने अपनी पहली सार्वजनिक कम्पनी वीडियो सॉफ्टवेयर निर्माता ऑन2 टेक्नोलॉजीज़ को 106.5 मिलियन डॉलर में अधिकृत किया। गूगल ने आर्द्वर्क, एक सामाजिक नेटवर्क खोज इंजन को 50 मिलियन डॉलर में अधिकृत किया। गूगल ने अपनी आन्तरिक ब्लॉग में टिप्पणी की, “हम सहकारिता के लिए अग्रसर हैं, ताकि हम देख सकें कि हम इसे कहाँ तक ले जा पाते हैं”। और अप्रैल 2010 में गूगल ने एक छोटे हार्डवेयर उद्यम एग्निलक्स के अधिकरण की घोषणा की।
कई कम्पनियों को खरीदने के साथ-साथ गूगल ने अन्य कई संगठनों के साथ शोध से लेकर विज्ञापन के क्षेत्र में भागीदारी की। 2005 में गूगल ने नासा एमेस अनुसन्धान केन्द्र के साथ 1,000,000 वर्ग फुट (93,000 वर्ग मीटर) कार्यालयी क्षेत्र के निर्माण के लिए भागीदारी की। इन कार्यालयों का उपयोग बड़े पैमाने पर डेटा प्रबन्धन, नैनो तकनीक, वितरित संगणन तथा अंतरिक्ष उद्योग के उद्यम से जुड़े परियोजनाओं पर शोध करने के लिए किया जाएगा। उसी वर्ष अक्टूबर में गूगल ने सन माइक्रोसिस्टम्स से एक-दूसरे की तकनीकों का आदान-प्रदान और वितरण के लिए भागीदारी की। कम्पनी ने टाइम वॉर्नर के एओएल के साथ एक-दूसरे की वीडियो खोज सेवाओं में वृद्धि के लिए भागीदारी की। गूगल की 2005 में हुई कई भागीदारियों में मोबाईल यन्त्रों के लिए .मोबी शीर्ष स्तरीय डोमेन का वित्तीयन तथा बड़ी कम्पनियाँ जैसे माइक्रोसॉफ़्ट, नोकिया और एरिक्सन शामिल हैं। गूगल ने मोबाईल विज्ञापन बाज़ार को देखते हुए, “एड्सेंस फॉर मोबाईल” चालू किया। विज्ञापन जगत में अपनी पहुँच आगे बढ़ाते हुए गूगल और न्यूज़ कॉर्पोरेशन के फॉक्स इंटरएक्टिव मीडिया ने लोकप्रिय सामाजिक नेटवर्किंग साइट माइस्पेस पर खोज और विज्ञापन प्रदान करने के लिए 900 मिलियन डॉलर का समझौता किया।
अक्टूबर 2006 में गूगल ने विडियो-शेयरिंग साइट यूट्युब को 165 अरब डॉलर में अधिकृत करने की घोषणा की। 13 नवम्बर 2006 को इस सौदे को अन्तिम रूप दिया गया। गूगल यूट्युब चलाने के खर्च का विस्तृत आँकड़े प्रस्तुत नहीं करता है और 2007 में यूट्युब के राजस्व की एक नियामक सूची में गूगल ने उसे “अनावश्यक” बताया। जून 2008 में अंग्रेज़ी मैगज़ीन फ़ॉर्ब्स में छपे एक लेख के अनुसार विज्ञापनों की बिक्री में हुई वृद्धी से 2008 में यूट्युब ने 200 मिलियन अमरीकी डॉलर कमाया। 2007 में गूगल ने नोरैड ट्रैक्स सांता, एक सेवा जो क्रिसमस की पूर्वसंध्या पर सांता क्लॉस के यात्रा का अनुकरण करने का दावा करती है, का प्रयोजन भूतपूर्व प्रायोजक एओएल को विस्थापित करते हुए गूगल अर्थ के माध्यम से “सांता का अनुकरण” पहली बार त्रि-आयाम (3-डी) में चालू किया। गूगल-स्वामित्व के अधीन यूट्यूब पर नोराड ट्रैक्स सांता को एक नया चैनल भी मिल गया।
2008 में गूगल ने जियोआई से एक उपग्रह, जो गूगल अर्थ को उच्च-विश्लेषण (0.41 मीटर मोनोक्रोम और 1.65 मीटर रंगीन) चित्र उपलब्ध कराता है, के प्रक्षेपण के लिए साझेदारी की। यह उपग्रह वैंडेनबर्ग वायुसेना केन्द्र से 6 सितम्बर 2008 को प्रक्षेपित किया गया। 2008 में गूगल ने यह घोषणा किया कि वह लाइफ़ (पत्रिका) से साझेदारी करेगा और उसके तस्वीरों के एक संग्रह की मेजबानी भी करेगा। संग्रह के चित्रों में से कुछ का प्रकाशन पत्रिका में कभी हुआ ही नहीं। वे चित्र जलांकित थे और सबपर सर्वाधिकार सूचना (कॉपीराइट नोटिस) छपा हुआ था, इसके बावजूद कि वे लोक प्रक्षेत्र के दर्जे की थीं।
2010 में गूगल एनर्जी ने अपना पहला निवेश, एक अक्षय-उर्जा परियोजना में 38.8 मिलियन डॉलर का उत्तर डकोटा में दो वायु ऊर्जा फार्मों पर किया। कम्पनी ने बताया कि इन दो फार्मों से 169.5 मेगावाट का विद्युत उत्पन्न होगा, जो कि 55,000 घरों को बिजली प्रदान करा सकता है। यह फार्म जो कि नेक्स्टएरा एनर्जी रिसोर्सेस द्वारा विकसित किया गया था, उस इलाके में खनिज इंधन के इस्तेमाल को कम कर देगा और लाभांवित भी करेगा। नेक्स्टएरा एनर्जी रिसोर्सेस ने गूगल को उसके बीस प्रतिशत शेयर की हिस्सेदारी बेची, ताकि वे उस परियोजना के विकास में और पैसा लगा सके; और फिर 2010 में गूगल ने ग्लोबल आईपी सोल्युशन्स, जो कि नॉर्वे में वेब-आधारित टेलेकॉन्फ़्रेंसिंग और अन्य सम्बन्धित सेवाएँ प्रदान करती हैं, को खरीदा। इस अधिग्रहण से गूगल ने टेलीफोन शैली की सेवाओं को अपनी उत्पादों-सूची में जोड़ लिया। 27 मई 2010 को गूगल ने मोबाईल विज्ञापन नेट्वर्क, एड्मोब के अधिग्रहण की घोषणा की। यह अधिग्रहण संघीय व्यापार आयोग द्वारा की गई इस अधिग्रहण के छानबीन के बाद हुआ। गूगल ने इस अधिग्रहण के लागत की व्याख्या नहीं की। जुलाई 2010 में गूगल ने आयोवा विंड फार्म से 114 मेगावाट की ऊर्जा अगले 20 वर्षों तक खरीदने का समझौता किया।
4 अप्रैल 2011 को द ग्लोब एण्ड मेल की एक रिपोर्ट में कहा गया कि गूगल ने छह हज़ार नॉर्टेल नेटवर्क पेटेंट के लिए 900 मिलियन डॉलर की बोली लगायी है।
साभार; विकिपीडिया। जे डी सिंह
No comments:
Post a Comment