मुंबई। भारत देश के पिछड़ेपन के लिए आखिर जिम्देदार कौन है। आज भी देश में गरीबी,अशिक्षा सुरसा की तरह मुह बायें खडी हैं। केन्द्र सरकार और राज्य की सरकारें जनमानस के हित में तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन कर रही हैं।लेकिन समस्या जस की तस बनी हैं।सतगुरु दर्पण के संपादक जेडी सिंह ने लोकदल के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम दूबे से विशेष बातचीत की और उनसें सवाल किया कि आज देश के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं।आखिर इसके लिए जिम्देदार कौन है। जबाब में उन्होंने कहां कि वर्तमान समय मे राजनैतिक दल सत्ता मे पहुंचने का रास्ता ढूढ रहें हैं। कहां कि गरीबी और अशिक्षा आज के आधुनिक युग मे विद्यमान हैं। उन्होंने कहां कि आधी दुनिया समाजबाद और पूजीबाद को लेकर चल रहा हैं। जिससे वहां की जनता खुशहाल हैं। भारत देश के संविधान मे समाजबाद और पूजीबाद को सम्मलित रुप से लेकर चलने का प्राविधान है। इस समय सिर्फ पूजीबाद को बढ़ावा मिल रहा हैं।समाजबाद प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहां कि भारतदेश की कुल आबादी 127 करोड के आस पास है। उन्होंने कहां कि विश्व बैक के सर्वे के अनुसार देश की 30 प्रतिशत आबादी की आय 125 रुपये प्रतिदिन का है। सी .एन.एन से जुडी रितिका कात्याल के तीन अगस्त 2015 के एक रिपोर्ट के अनुसार 75प्रतिशत लोग पांच हजार रुपये प्रतिमाह कमाने वाले लोग है। उन्होंने कहां कि देश में 35प्रतिशत लोग आज भी अशिक्षित है। कहां कि केन्द्र सरकार हो या राज्य की सरकारें हो जनता इनसे बहुत संतुष्ट नहीं हैं। किसानों की माली हालत दयनीय है। उसको उसके उपज का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है।नौजवान बेरोजगारी का दंश झेलते हुए पीडित है। मध्यवर्गीय परिवार महगाई की मार से परेशान है। जब उसके सामने मेडिकल की परेशानी आती है तो वह विवश हो जाता है।कैसा भी करके मुसीबत मे किसी तरह परिवार का उपचार करवाता है। कुल मिलाकर देखा जाय तो अभी भी देश की हालत दयनीय है। गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी देश की सबसे बडी समस्या है। जेडी सिंह, सोनू सिंह
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