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Thursday, 28 June 2012

काशी मर्नायम मुक्ति

मुक्ति धाम
    kashiकाशी मर्नायम मुक्ति .....यानि काशी में प्राण त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भोले शंकर की नगरी काशी को इसीलिए मोक्ष की नगरी कहा जाता है। देश का एकमात्र ऐसा तीर्थ जहां की मान्यता है कि मरने वालों को भोले शंकर खुद तारक मन्त्र देकर तारते हैं। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी को देश की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। यही नहीं! ये भी कहा जाता है कि त्रिलोक्य से न्यारी इस नगरी को खुद भोले शंकर ने बनाया है। काशी मर्नायम मुक्ति यानि काशी में मरने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में कहा गया है कि यहां मरने वाले लोगों का मुक्ति का मार्ग भोले शंकर निर्धारित करते है। ये है काशी का मणिकर्णिका घाट जहां भोले भंडारी स्वयं विराजमान रहते हैं। कहा ये जाता है कि जिसकी मृत्यु काशी में न हो लेकिन उसका शवदाह भी अगर इस महाश्मशान घाट पर होता है तो उसको कई जन्मों की मुक्ति यहाँ मिल जाती है। गंगाधर की जटाओ से निकली शिव प्रिय गंगा इस नगरी में उत्तरवाहिनी हो जाती है। कंकर-कंकर में शंकर की नगरी काशी स्वयं में शिवमय है। इसीलिये मोक्ष मय भी है क्योंकि शिव ही सत्य और जीवन का अंतिम सत्य भी मृत्यु है और मृत्यु के बाद कुछ है तो वो शिव ही है। इसीलिये उन्हें काल से भी परे महाकाल कहा जाता है। यही तीनों लोकों से न्यारी काशी जो पृथ्वी पर नहीं बल्कि शिव के शूलों पर है। सदा है, सदा ही रहेगी अविनाशी काशी।

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