एक परमात्मा का भजन करें: श्रद्धा बाबा
संत स्वामी अड़गड़ानंद के शिष्य श्रद्धा बाबा (पटना, बिहार) ने कहा कि मनुष्य उतना ही पवित्र है, जिनता परम पावन भगवान। संत के दर्शन मात्र से मानव का कल्याण होने लगता है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य मनु व सतरूपा से उत्पन्न हुआ है। एक परमात्मा का चिंतन करने से मन एकाग्र होता है। मानवरूपी मंदिर पवित्र होने पर ही दर्शन योग्य है। धरती पर इंसान ही सब कुछ है। इसको सजाने, संवारने का काम इसका है। मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारा सभी तीर्थ इसी के बनाये हुए है। ईश्वर को भजता भी यही है। इसी को ईश्वर का बोध भी होता है। राम, कृष्ण एक कीर्ति है। जिसके प्रकाश से भक्तजन आनन्द में भाव-विभोर हो जाते हैं। भगवान आनन्द है तो भक्त अमृत की खान है। हमारे देश में महापुरूषों ने आवाम को हमेशा अच्छा रास्ता दिखाया है। सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने का भरसक प्रयास किया। तुलसी दास, कबीर, नानक, गुरू गोरखनाथ, प्रभु ईसामसीह, मोहम्मद साहब ये महान विभूतियां आज भी हमारे आदर्श और दर्शन हैं। उन्होंने कहा कि आज इन्हीं के पदचिन्हों पर चलकर भारत माता की आवाज बुलन्द है। उन्होंने कहा कि चरित्र से ही संस्कार का निर्माण होता है। जिसका आचरण पवित्र होता है, वह भगवान के नजदीक होता है। उस पर उसकी कृपा बरसती रहती है। कहा कि इंसान सचमुच में भगवान है, बशर्ते अपने कर्मों की वजह से शैतान बना हुआ है। भारत पूरे विश्व को शिष्टाचार देने वाला है लेकिन वर्तमान चिंताजनक है। राम चरित्र आज भी आदर्श बना हुआ है। तुलसी दास के राम के बारे में कहा है कि प्रातःकाल उठि के रघुनाथा, मातु-पिता, गुरू नावहि माथा। उत्तम चरित्र व एक परमात्मा का भजन करने वाला व्यक्ति महान व दर्शन योग्य है।
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