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Tuesday, 5 November 2013

भक्ति से भगवान का मिलना सम्भव


जौनपुर। भक्तों पर भगवान की निगाह होती है इसलिए उन्हें घबराना नहीं चाहिए। साधक के रूप में साधक होता रहे तो उनकी कृपा बनी रहती है। इन्सान परीक्षा में तभी पास होगा जब उन पर भरोसे के साथ समर्पण का भाव बना रहेगा। उक्त बातें शहर के चांदमारी स्थित देवेन्द्र सिंह आवास के सामने उपस्थित सैकड़ों श्रद्घालुओ को सम्बोधित करते हुए संत स्वामी अडग़डानन्द जी महाराज ने कही।
 उन्होंने कहा कि भक्ति मार्ग कठिन है परन्तु इसी मार्ग पर चलकर ही इन्सान को सफलता प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि कृष्ण की तीनों पटरानियां रूक्मणी, सत्यभामा और जामवन्ती भक्ति में फेल हो गयी लेकिन राधा और उनकी साथ की गोपियां पास हो गयीं। हुआ यह की एक बार भगवान कृष्ण बीमार थे उन्हें चरण रज की धूल से ठीक होना था। नारद भगवान परीक्षा लेने तीनों पटरानियों के पास गए और भगवान के बीमार होने की बात कही बताया कि भक्त के चरण रज के धूल से ही भगवान ठीक होंगे। पटरानियां असमंजस में पड़ीं और बोलीं वे तो मेरे स्वामी हैं कैसे चरण रज की धूल दूं। इधर भगवान नारद राधा और गोपियों के पास गए और सारी बात बतायी। राधा ने कहा कि भगवान भले ही नाराज हो जाएं लेकिन चरण रज की धूल अवश्य दूंगी। राधा और गोपियों ने अपने-अपने चरणों की धूल उड़ाना शुरू किया और नारद भगवान धूल को इकट्ठा कर भगवान के पास ले गये जिसे लगाकर भगवान ठीक हो गये। इस प्रकार राधा और गोपियां भक्ति में पास हो गयीं और तीनों पटरानियां फेल हो गयीं। इस अवसर पर बिल्लू बाबा, तानसेन बाबा, आशीष बाबा, तुलसी बाबा, विनय दुबे, सतीश सिंह,चन्द्रप्रकाश सिंह पप्पू, संतोष सिंह गुड्डू, शिवेन्द्र सिंह आदि उपस्थित थे।

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