जौनपुर।जीवन मे साधुता का बडा महत्व है।सचमुच मे साधु वही है ।जिसकी आत्मा पवित्र है। घर मे कभी लोग माता पिता से नाराज हो जाते है।तो यहीं कहते है।चलत हईय साधु बन जाब। साधु बनना आसान काम नहीं है। खुद को साधना मृत्यु के समान है।जो जीते जी मरना सीख गया वह साधु है। साधु दीनता दया का प्रतीक है। वह धरती का शान्तिदूत है। यदि उसके पास जायेगे तो शान्ति महसूस होने लगेगी। आज देखा जाय तो विरला कोई साधु है। धर्म को बेचा जा रहा है। धर्म के नाम पर जमीन कब्ज़ा किया जा रहा है।धर्म को बदनाम करने के पीछे सबसे बडा हाथ तथाकथित साधुओ का है।जिनके अन्दर काम क्रोध मोह लोभ कूट कूट कर भरा है। बात करते है राजनीति की साधु है। दिनभर झूठ बोलते है,साधु है। जात पात का भेद करते है साधु है। मंहगी शौक रखते है साधु है। इन्सान मे नफरत भरते है साधु है।बहुत हो गया पाखंड ,झूठ फरेब का अब तो ईश्वर को माफ कर दो।क्यों उनको बदनाम कर रहे है। भारत धर्म प्रधान देश है। ऐसे तथाकथित साधुओ की वजह से धर्म बिगडा,इन्सान भटक गया।वह गोल गोल घूम रहा है। उसे समझ मे नहीं आ रहा है कि भगवान भी है।वह खुद को ही सब कुछ समझ रहा है। साधना ही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। साधन के लिए गुरू खोजना चाहिए। गुरु भी बहुत है। जो दिनभर चेला बनाने और चढउवा के चक्कर मे है। गुरु वह करिये जो शांति लिया हो और शांति दे सके।जो जन्म मरण के बन्धन से छुटकारा दिला सके।जो जीव का कल्याण कर सके। जब गुरु साधना के लिए साधन बतायेगा। तभी ईश्वर तक पहुँच बन पायेगी। जैसे लखनउ जाना है तो जौनपुर से वरुणा पकडकर जाना होगा।तभी मंज़िल मिल सकेगी।ऐसे ही सही गुरु मिलने पर ही जीवन सार्थक बन सकेगा। भारत की जनता कितनी भोली भाली है। उसे तरह तरह से छला जा रहा है।पाप बढ गया है प्रभु।कुछ तो करिये। जीवो का कल्याण हो। पाखंडवाद समाप्त होने पर ही जीवन मे साधना बन सकता है।देशभर मे तमाम बडे बडे मठ है। साधना है।साधन है। भजन हो रहा है। यह सत्य है कुछ साधुओ के साधना का फल है। जिससे भारत का सत्य दमक रहा है। जे डी
Tuesday, 28 February 2017
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