Social Icons

Thursday, 30 March 2017

मांसाहारी होने से मनुष्य की आयु घट रही है

जौनपुर।मनुष्य का मांसाहारी होना उसके जीवन के लिए घातक होता जा रहा है।इन्सान अनेकों प्रकार के जीव का मांस खा,खा,करके अपने जीवन को बीमारी की ओर धकेल रहा है। किसी जीव को मार कर खाना पाप की श्रेणी मे आता है।श्रीप्रकाश सिंह ने आहार कैसा हो नामक एक पुस्तक लिखे है।जिसमें कहाँ गया है कि आज विश्व के हर कोने से वैज्ञानिक डाक्टर यह चेतावनी  दे रहे है कि माँसाहार कैन्सर आदि असाध्य रोगो को देकर आयु क्षीण करता है और शाकाहार अधिक पौष्टिकता व रोगो से लडने की क्षमता प्रदान करता है।मांसाहार पर खर्च करना स्वयं रोगो को खरीद करना ही है। पशुओ को मारने के पहले उनके शरीर मे पल रहे रोगो की जाँच नहीं होती है।पशुओ के शरीर मे पल रहे रोग माँस खाने वाले के शरीर मे प्रवेश कर जाते है फिर जिस त्रास यंत्रणापूर्ण वातावरण मे हत्या की जाती है।उस वातावरण से उत्पन्न तनाव भय छटपटाहट,क्रोध आदि पशुओ की माँस को जहरीला बना देता है।वह जहरीला रोग ग्रस्त माँस माँसाहारी के उदर मे जाकर उसे असाध्य रोगो का शिकार बनाता है।

No comments:

Post a Comment