जौनपुर। सूर्य को हिन्दू भगवान के रुप मे पूजते आ रहे है।आज मनुष्य जात -पात धर्म -मजहब के चक्कर मे तरह तरह के बयानबाजी कर रहा है।लेकिन सच्चाई यह है कि सूर्य की रोशनी से सारा जहाँ रौशन है।नियमित समय पर उगनाऔर अस्त होना रोज की उनकी दिनचर्या है। सुबह की किरणे हर जीव को आन्नद रूपी उर्जा प्रदान कर रही है।दोपर का तेज धूप ब्याकुल कर देता है।धीर धीरे तपिश कमजोर होती है।फिर भगवान अस्त हो जाते है।सूर्य जातिवादी नहीं है।धर्मवादी नही है।मानवतावादी है।उनकी रोशनी का हर कोई कायल है।सूर्य यदि उगना बन्द कर दे तो हिन्दू मुस्लिम दोनो के जीवन मे फजीहत आ जायेगी। सूर्य सबको स्वीकार्य है।सबके है। रही बात सूर्य नमस्कार की तो सूर्य की पूजा सबको करनी चाहिए। जिसकी आस्था न हो न करे। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य ने लखनउ के अपने आवास पर योग महोत्सव कार्यक्रम के दौरान बोले कि सूर्य नमस्कार और नमाज पढना एक जैसा है। जिस पर बहस छिडी हुई है। मुसलमान धर्म गुरु इसे सिरे से खारिज कर रहे है।उनका कहना है।नमाज अल्लाह की इबादत है।जिस तरीके से मुसलमान नमाज पढता है।वह बार बार अल्लाह को शिजदा करता है।सूर्य नमस्कार शारिरीक व्यायाम है।समाचार प्लस चैनल पर एक कार्यक्रम आ रहा था।जिसमे सूर्य नमस्कार और नमाज पर बहस चल रही थी। मुस्लिम धर्म गुरु अपनी बात कर रहे थे।हिन्दू धर्म गुरु अपनी बात कर रहे थे।तर्क संगत बाते चल रही थी। किसी बात को लेकर जहकी जहका हुई। वस्तुत: कार्यक्रम को बीच मे ही रोकना पडा। सूर्य तो है।यह सत्य है। सूर्य नमस्कार भगवान की बन्दगी है। तरह तरह के आसन से उन्हें प्रणाम कर भक्त जीवन को स्फूर्ति देता है। कोई माने या ना माने सूर्य सबके भगवान है। जे डी सिंह सतगुरू धाम
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