जौनपुर।सम्पूर्ण सृष्टि मे परमात्मा एक है,अमृत तत्व की प्राप्ति ,सदा रहने वाली शाश्वत शान्ति ,अन्नत सुख और उसका आरम्भ है परमात्मा मे श्रद्धा।सत्य एक मात्र परमात्मा है।जो इस सत्य को नहीं दृढाता,वह धर्म नहीं है।यदि धर्म मे यह सच्चाई नहीं है तो जीवन निरथक चला जाता है। जो भी व्यक्ति एक परमात्मा मे अटूट श्रद्धा औरॐ अथवा राम या जो उस परमात्मा का परिचायक है,ऐसे किसी एक नाम का स्मरण करता है।वह धर्म को न जानते हुए भी शुद्ध धार्मिक है। जो शाश्वत है,अपरिवर्तनशील है,सनातन है:वह धर्म है,और जो आज है किन्तु कल नहीं रह जायेगा,नश्वर है,वह अधर्म है। विश्व मे धर्म एक ही है।शाश्वत एकमात्र परमात्मा को पाने का यत्न ही धर्म है।परमात्मा भी यदि दो है तो उसके लिए दूसरी सृष्टि चाहिए-उसके व्याप्त होने व रहने के लिए। परम पूज्य राष्ट्र संत स्वामी अडगडानंद जी महाराज शक्तेषगढ मिरजापुर
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment