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Friday, 7 April 2017

अगर हम संभले नहीं तो धर्म को लेकर विश्व युद्ध की प्रबल संभावना बन रही है।

दिल्ली।महापुरुषो के महान कर्म ही हमारा धर्म है। हर धर्मो मे कोई न कोई महापुरूष का शांति स्थापना के लिए अवतार होता रहता है।रब्ब दुनिया मे शांति चाहता है।
शैतान अशांति फैलाता है।जीवो को भटकाता है।भरमाता है।अपने जाल मे फसाता है।हिन्दू ,मुस्लिम सिख,ईसाई पवित्र नाम है।इसके जो मायने है।सिर्फ इबादत के है।बार-बार मालिक को सिजदा करना हमारा मूल धर्म है। परमात्मा को याद कर जीवन के क्षण को सुखमय बनाया जा सकता है। धर्म को विवादित बना दिया गया है।स्वार्थ वश। धर्म का व्यवसायी करण इसका कारण है।चाहे जो भी  धर्म हो मानवता और इन्सानियत की बात करता है।दयाऔर दीनता की बात करता है।जिस प्रकार ईसाई मिशनरी सेवा का भाव लेकर शिक्षा  को माध्यम बनाकर भारत देश मे मजबूती से अपनी जडे जमा चुकी है।यह देश के लिए घातक है।गरीब तपका ईसाईओ के निशाने पर है। इनके संगत मे भूत-प्रेत को झाड फूक से ठीक करने की बात बतायी जाती है। ईसाई स्कूलो मे रविवार को विशेष प्रार्थना होती है।जिसमे लोगो को ईसाई बनने के लिए प्रेरित किया जाता है।जो इनसे जुडा उसको सारी सुविधाए मुहैया करायी जाती है। सेवाभाव इनका महान कार्य है।जो प्रशंसनीय है। जिस प्रकार इनका फैलाव हो रहा है।आने वाले समय मे भारत मे ये काफी मजबूत दिखेगे। मुसलमान भी  अपनी ताकत को मजबूत बना रहा है।आबादी तेजी से बढ रही है। धर्म को लेकर सदैव कुरबानी देने को तैयार बैठै है।
हिन्दू दया का सागर है।विनम्र है। धर्म के प्रति उतना सजग नहीं है।जितना होना चाहिए। एक दूसरे को मात देने वाली धार्मिक लडाई विश्व युद्ध की ओर संकेत
है। भारत मे ईसाई अपना दबदबा बनाना चाहता है।मुसलमान अपना।हिन्दू राम भरोसे कायम है।  संभावना है,ईसाई और मुसलमान अपनी अपनी प्रभुता जमाने मे टकरायेगे।  भारत देवभूमि है। युद्ध कब कैसे शुरु होगा।हिन्दूतत्व की लहर उठेगी। राम का जयकारा होगा। विश्व के मानस पटल पर हिन्दूतत्व का असर तेजी से होगा। जो और धर्म के लोगो को अच्छा नहीं लगेगा।राम लहर रोकने की कोशिश होगी।जो रुक नहीं सकता। अयोध्या मे यदि मन्दिर -मस्जिद विवाद सुलट जाता है तो युद्ध की संभावना कमजोर हो सकती। रामलला का मन्दिर यदि बन जाय तो दुनिया के अन्दर एक बडा शांति का संदेश जा सकता है। मस्जिद भी  बने। धार्मिक उफान आ सकता है। यदि हम संभलेगे नहीं तो विश्व युद्ध हो सकता। जे डी सिंह सम्पादक सतगुरु दर्पण जौनपुर

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