Social Icons

Monday, 3 April 2017

अस प्रभु हृदयँ अछत अबिकारी,सकल जीव जग दीन दुखारी

जौनपुर।प्रभु सबके ह्दय मे निवास करता है।लेकिन दिखाई नहीं देता है।नाम निरुपन नाम जतन ते। सोइ प्रगटत जिमि मोल रतन ते।पहले नाम का निरुपण करे कि नाम है किस प्रकार? उसे जपा कैसे जाता है?श्वास मे उठने वाली धुन पकड कैसे आती है ? उसका प्रेरक कौन है?जब समझ काम कर जाय,तो उसके लिए यत्न करे। खून पसीना एक करके उस परमात्मा को विदित कर ले,वह प्रकट हो जायेगा।वह परमात्मा एक धाम है और उसमें प्रवेश का माध्यम सद्गुरू है। गुरु राखइ जो कोप विधाता।गुरू रुठे नहीं कोउ जग त्राता।। यदि तकदीर फूट जाय,घोर यातनाए लिख दी जाय,तब भी  सद्गुरु रक्षा करते है और यदि सद्गुरू ही उपलब्ध  नहीं है तो भगवान नाम की कोई वस्तु पहचान मे नहीं आती है। भगवान हृदय देश मे ही है:यदि सतगुरु नहीं है तो उसकी पहचान नहीं।इसी प्रकार ,जो गुरु एक मात्र परमात्मा की उपलब्धि की क्रिया नहीं जानता जो सत्य मे प्रवेशवाला नहीं है,जो उस क्रिया को हमारे -आपके हृदय -देश मे जगाने मे, अनुभवी जागृति देने मे सक्षम नहीं है। वह सद्गुरू नहीं कुल गुरू है। जब तक सद्गुरू उपलब्ध नहीं है तब तक उस एक परमात्मा का परिचायक दो ढाई अक्षर के नाम और एक परम तत्व परमात्मा के प्रति श्रद्धा आप मे है तो आपका सुमिरन ,भजन ईष्ट सही है।
परम पूज्य राष्ट्र संत स्वामी अडगडानंद जी महाराज शक्तेषगढ चुनार मिरजापुर

No comments:

Post a Comment