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Thursday, 4 May 2017

इतना अहंकारी भी न बनो की ईश्वर रुठ जाय

सतगुरुधाम।जौनपुर।परमात्मा से दुनिया है।प्रकृति मे उसी का समावेश है।धरती का हर जीव उसी से संचालित हो रहा है।सबकी एक अवधि है।शरीर सबको छोडना है।जो आया है वह जायेगा चाहे वह राजा हो या रंक या फकीर हो। इन्सान को जब कुछ मिल जाता है तो वह गुमान मे हो जाता है। पद नाम सोहरत धन दौलत इन्सान को अपने करम से प्राप्त होता है। अहंकार मनुष्य को विनाश की गति देता है।जब भगवान कुछ दे तो इन्सान को विनम्र होना चाहिए और नर सेवा नारायण सेवा मे लग जाना चाहिए। समय समय पर ईश्वर चेतावनी देता रहता है।जैसे शरीर मे कोई बीमारी आनी है तो पहले से ही चेतावनी मिलनी शुरू हो जाती है।परमात्मा को याद कर जीवन को खुशहाल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। अहंकारी होने पर ईश्वर रूठ जाता है। जे डी सिंह

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