शक्तेषगढ।चुनार। संसार नियम के अनुसार चलायमान है।समय की गति है। जीवो की एक अवस्था है। उसी अनुसार गति मिलती है। करमो का लेखा जोखा होता है। पाप-पुण्य के अनुसार जीवो को योनि मिलती है।तरह-तरह के जीव धरती पर विराजमान है।सबकी प्रकृति मे उपयोगिता है। मनुष्य योनि सबसे महत्वपूर्ण है। जिसमें ज्ञान -विज्ञान है। सांसारिक ज्ञान से मनुष्य गृहस्थ जीवन का विकास कर आगे बढ़ रहा है। ज्ञान की खोज मे ही मनुष्य को तरह -तरह की उपलब्धि हाथ लग जाती है। नूतन खोज कर विज्ञान मनुष्य के लिये तरह तरह की सुविधाएँ मुहैया करा रही। साथ ही विनाश की लीला रच रही है।अहंकाररूपी परमाणु बंम जिस दिन फटना शुरू हुआ। जीवो की दशा क्या होगा। राम जाने। आध्यात्मिक ज्ञान से मनुष्य का भला होगा। जीव को शांति मिलेगी। आज विश्व मे शांति की कमी दिख रही है।अहंकार मे एक देश दूसरे देश पर भौंहे तान रहे है। संत कृपा से धरती टिकी है।नहीं तो जितना पाप बढ़ा है। प्रलय की समस्या आ सकती है।भारत देश सहित तमाम देश जल प्रलय से ग्रस्त है। बाढ़ का जगह जगह प्रकोप देखा जा रहा है। जन-धन की हानि हो रही है। परमात्मा की खोज मे कम लोग है। याद भी करने वालो मे भी संत ही है।जो गुरु कृपा से भगवान को हृदय मे प्रकट करते है। ईश्वर की मरजी के अनुसार करम करते है और महापुरुष बन जाते है। जो सदैव याद किये जाते है।उनके जीवन की चेतना संचारित व प्रचारित होता रहता है। राम,कृष्ण,गुरूनानक,कबीर साहिब,तुलसी दास सहित तमाम संत महापुरुषो की चेतना आज भी जागृति है।मनुष्य का हृदय अपवित्र होता जा रहा है। खान-पान ठीक न होने से गन्दे विचार हृदय मे उत्पन्न हो रहे है। जो मनुष्य के साथ अन्य जीवो के लिये खतरा बन रहा है। संत राम नाम का बीज भक्त के हृदय मे डालता है। धीरे-धीरे भक्त भजन के माध्यम से आत्मा को परमात्मा से जोडकर ईश्वर की अनूभूति करता है और अनुभव मे उसे संसार की हर गति का पता चलने लगता है।किसान खेत की जुताई करवाता है। बीज डालता है। फसल निकलने पर निराई-गुडाई करता है।खाद डालता है। फसल लहलहाने लगती है। फसल पकता है।किसान उसे काटता है। उसके दाने निकालता है। भण्डारण करता है। फिर अन्न देवता के रुप मे जीवन जीने के लिये उसका उपयोग करता है और उरजा प्राप्त कर जीवन को आगे बढाता है। परमहंस आश्रम मे गुरु महाराज स्वामी श्री अड़गडानन्द महाराज जी शिष्यो को भजन करने की प्रेरणा देते है। साधक साधना करके पूर्ण होने की स्थित मे आ जाता है। परमहंस आश्रम नवहानीपुर के संत मुखिया बाबा ने चोला छोड़ दिये। गुरु महाराज के सानिध्य मे उनका गहन तपस्या रहा।गुरुभक्ति ने उनके जीवन को धन्य बना दिया। सदैव याद किये जायेगे। संत वाणी मे चर्चा होगी। उनकी चेतना संचारित होती रहेगी। महानता बनी रहेगी।गद्दी पर उनके नाम का अलख लगता रहेगा। गुरु महिमा का प्रताप बना रहेगा। जे डी सिंह/अवनीश मिश्र
Monday, 24 July 2017
मुखिया बाबा के चेतना का संचार होता रहेगा
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