जौनपुर। धरती पर परमात्मा है। यह परम सत्य है। साधु,संत,गृहस्थ सबका अपना जीवन है। गृहस्थ जीवन माया से प्रभावित है।जिसमे काम,क्रोध मोह,लोभ की बहुलता है।संत जीवन इससे एकदम अलग है। यदि वह संत है तो। संत तो कोई विरला है। सनानतन धर्म की महानता मे संत की महिमा अपरम्पार है। देश मे तथाकथित संतो की बहुलता से आस्था को ठेस पहुंच रही है। खुद को तथाकथित बाबा लोग भगवान बनने के चक्कर मे जेल मे सिमरन करने लगे है।ऐसे मे कई बाबा को अपनी करनी याद आ रही होगी। हिन्दू धर्म मे कहावत है ,पापी का नाम लेना भी पाप है।भगवान के घर पीड़ित को न्याय मिलना ही है। अन्यायी सदैव बेनकाब होते है। धर्म पर रहने वाले की जय सदैव होती है।अधर्म का नाश होता है।गुरु शिष्य की पावन परम्परा मे अविश्वास पैदा हो रहा है। गुरू को भगवान मानकर शिष्य साधना के पथ पर आगे बढ़ता है। यदि गुरु का आचरण दोषपूर्ण है जग मे उसके कृत्य की थू थू हो तो शिष्य के आस्था को कितना बडा ठेस पहुँचेगा। धर्म मर्यादित है। चरित्र की पवित्रता है। सूर्य सबको आलोकित कर रहा है। यह उसका धर्म है। आकाश का धर्म शीतलता प्रदान करना है। जल हर आत्मा को जीवन दे रही है। यह उसका धर्म है। संत जग कल्याणी होता है। राम संत की प्रवृत्ति है। जगत मे भगवान एक है। पंथ अनेक है। सबकी अपनी विचारधारा है। कुछ ऐसे तूच्छ सोच के तथाकथित बाबाओ के अवतार ने सनातन धर्म की महिमा को कमजोर करने की कोशिश की है। खैर जैसी करनी,वैसी भरनी जो जैसा करेगा वैसा भरेगा। पाप का घड़ा जब भरता है तो फूटता है। बाबाओ के उजागर हो रहे कृत्य से जनमानस मे उनके प्रति खिन्नता का भाव है। भगवान हर मनुष्य के हृदय मे है। काश हम खुद को जानने की कोशिश करे। देहाती कहावत है ,पानी पियय छानिके,गुरु करय जानिके,तथाकथित बाबाओ की वजह से सनातन धर्म का धरातल कमजोर हो रहा है। कानून सबसे बडा है। जिसमे सत्य समाहित है। न्याय अन्याय के पलडे मे न्याय की जीत होती है। न्याय प्रणाली हमें ईश्वरीय बोध कराती है।न्याय मिलने पर आत्मा खुश होती है। हर इन्सान न्यायिक बने। न्याय पर रहने और न्याय की बात करने पर अन्याय कमजोर होगा। कुछ तथाकथित बाबाओ के प्रकट होने और उनके दोषपूर्ण कृत्य से देश के आमनागरिको मे बाबाओ पर बहस छिडी है। ऐसे मे सच्चे संत व साधक भी लोगो के निगाह से उतर रहे है। दास जगदीश सतगुरु धाम
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