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Sunday, 24 September 2017

देश मे असंतो की भरमार, सच्चे संत से भी लोगो का उठ रहा विश्वास

जौनपुर। भारत देश मे संत की   महिमा का उल्लेख धर्म ग्रन्थो मे है। गुरु -शिष्य परम्परा अनादि काल से चली आ रही है। भक्ति पथ मे भगवान को जानने के लिए गुरु करना नितान्त आवश्यक है। लेकिन इतना जरुर है गुरू बनाते समय गुरु की छानबीन कर लेना चाहिये। पानी पियय छानिके  गुरु करय जानिके। यदि सच्चा गुरु मिला तो जीवन की धारा बदल जायेगी। मन की मलीनता साफ होगी ,शुभ विचार से आत्मा प्रसन्न होगी। आजकल धार्मिक गुरुओ की भरमार हो गयी है। चेला बनाने की होड़ लगी है। कुछ गुरु तो बहुत अच्छे है जिनकी उज्जवल छवि है। जो सत्य की राह पर है। संत धर्म का सच्चाई से पालन कर रहे है। सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुये भगवान को सदैव याद कर रहे है।    कुछ गुरूओ मे आशाराम, रामपाल,राम रहीम का कृत्य जगजाहिर है। इनकी वजह से आज संत समाज व भक्त समाज दोनो दुखी है। अक्सर इस समय साधु,संतो पर चर्चा परिचर्चा मे इन तथाकथित बाबाओ की जोरदार चर्चा है। मीडिया के माध्यम से लोगो के सामने राम रहीम का जो कृत्य सामने आया है उससे लोग काफी पेशोपेश मे है ।एक बाबा का इतना गिरा हुआ स्थर। जो धर्म के आड़ मे गलत कार्य कर रहा था। समय होत बलवान। समय के मार से कोई बच नहीं सकता है।  अब वक्त आ गया है। संत कौन है,असंत कौन है। इसकी जाँच हो जायेगी। देश मे असंतो का  भरमार है। संत तो कोई विरला है।  आसुरी प्रवृत्ति बढ रही है। दैवीय शक्ति कमजोर हो रही है। मन से गन्दगी जब तक नहीं जायेगी। सामाजिक विषमता बनी रहेगी। हर मनुष्य खुद मे विश्वास कर ले ईश्वर उसके पास मे है। बाबा तुलसी दास  रामचरित मानस मे लिखे है।निर्मल मन जन सो मोहि पावा,मोहि कपट छल छिद्र न भावा। बस मन को पवित्र कर लीजिये।ईश्वर की अनूभूति मिलने लगेगी। कबीर साहिब की भजन है। मको कहाँ ढूढे बन्दे मै हू तेरे पास मे । खोज होय तुरत मिल जाउ पल भर के विश्वास मे। हर व्यक्ति की आत्मा परमपिता परमेश्वर की ही अंश है। हम खुद को जानने की कोशिश करे,हम कौन है। किसलिए धरती पर आये है। स्वच्छता मे ही ईश्वर का वाश होता है। स्वच्छ विचार से स्वच्छ छवि का सृजन होता है।जे डी सिंह सम्पादक सतगुरु दर्पण जौनपुर

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