जौनपुर। स्वच्छ वातावरण मे ही सारे जीवो का कल्याण है। धरती पर तरह -तरह की गन्दगी से देश का माहौल गन्दा हो रहा है। वैचारिक प्रदूषण मे शुद्धता की जरुरत है। मानव का जैसे एक स्वभाव हो गया है एक दूसरे की बुराई करना है। कम इन्सान ही ऐसे होगे जो किसी की बुराई नहीं करते है। सत्य कम लोग बोलते है।झूठ बोलने वालो की संख्या अधिक है। मनुष्य के अन्दर काम,क्रोध,मोह ,लोभ की बहुलता है। मन मे गन्दगी है। भारत देश धर्म प्रधान देश है। यू पी के पवित्र व पावन भूमि पर राम -कृष्ण का जन्म हुआ। नर रुप मे नारायण ने लीला दिखाई। ईश्वरीय बोध लोगो को हुआ। कबीर साहिब,तुलसी दास, संत रैदास ,बाबा कीनाराम जैसे महान दार्शनिक भगवत प्रेम मे वशीभूत होकर सत्य मार्ग पर चलने के लिये लोगो को मार्गदर्शित किये। पहले धरती पर जो संत आये समाज को सुधारने का काम करते थे। उनके उपदेश का असर लोगो पर पडता था। आज भी बहुत से ऐसे संत है। जो समाज के कल्याण मे जुटे है। धर्म सभी अच्छे है। लेकिन धर्म के अनुसार चलने वाले कम है। पंथ अनेकों है। कुछ लोग ऐसे है जो अपने फायदे के लिए धर्म को बदनाम कर रहे है। मानव सेवा सबसे बडा धर्म है। माता-पिता ,वृद्धो की सेवा सबसे पुनीत कार्य है। संत परोपकारी होते है। दयालु होते है।उनके लिये सारा संसार एक जैसे है। किसी से कोई भेद नहीं करते। जीवो के उद्धार के लिये धरती पर आते है। संत भगवान के शांतिदूत होते है। असंतो का धरती पर भरमार है। जिनकी सोच मे तरह तरह की खामियाँ है। धर्म के नाम पर तेजी से लोगो को वरगलाकर भक्ति के नाम पर लोगो को छल रहे है। हालाँकि जिसका जैसा करम है। वैसा उसको फल भी है। अच्छा करेगे तो परिणाम अच्छा होगा।बुरा करेगे तो परिणाम बुरा होगा। हृदय यदि स्वच्छ है तो भगवान की उपस्थिति है। मन को यदि अच्छे कार्यो मे लगाये रंखेगे तभी हृदय स्वच्छ होगा या हर श्वास पर राम राम का जाप करना हृदय के शुद्धी के लिये बेहद कारगर है। भारत देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वच्छता पर विशेष जोर है। हर व्यक्ति स्वच्छता को जीवन का मूल मंत्र मान ले और स्वच्छ सोच से स्वच्छ विचार फिर क्या जीवन मे मंगल व्यवहार। धरती पर तरह तरह की गन्दकी के सफाई का महज एक उपाय है मनुष्य मन को स्थिर करने की कोशिश करे और राम नाम साबुन से उसको खूब धूले। स्वच्छता मे ईश्वर का वाश है। जे डी सिंह
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