मडियाहू।जौनपुर। रामनगर क्षेत्रपंचायत के खोराबीर गांव निवासी डा.अजय सिंह के पिता अमर बहादुर सिंह का शनिवार को निधन हो गया।खबर सुन सनेही जन दरवाजे पर पहुचकर मृतक आत्मा के जीवन से जुडीं यादों की चर्चा कर रहे हैं। ग्राम प्रधान खोराबीर ओम प्रकाश सिंह, रामनगर प्रमुख अरविंद सिंह, होरैया प्रधान सत्य प्रकाश सिंह, मुन्ना, पत्रकार सोनू सिंह, राहुल सिंह आदि ने शोक संवेदना प्रकट करते हुए मृतक आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की हैं। पिता को मुखाग्नि देने वाले विजय प्रताप सिंह सोलह संस्कारों मे पिता के अन्तिम संस्कार के बाबत दाग लिये हैं। नित्य यह कर्म शुद्धक और तेरही तक चलता रहेगा,मनुष्य जीवन संस्कारों से बधा हैं।मौत अटल सत्य हैं।एक दिन जाना होय जरुर,न जाने राम बुलावा कब आ जाय। मौत के बाद हिन्दू धर्म मे आत्मा की शांति के लिये गरुण पुराण कथा सुना जाता हैं। आईये जानते हैं, गरुण पुराण का महात्म क्या हैं।
गरूड़ पुराण में मुख्य रूप से मृत्यु के बाद आत्मा की दशा का वर्णन है।इसमें विभिन्न धर्म शास्त्र का उल्लेख मिलता हैं।
हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में गरूड़ पुराण का एक विशिष्ट स्थान है। इस पुराण के देव भगवान विष्णु है, इसलिए यह विष्णुू पुराण भी कहा जाता है। इसमें भगवान विष्णु और पक्षीराज गरूड़ के मध्य हुआ संवाद वर्णित है। बाद में, गरूड़ के द्वारा यह ऋषि कश्यप को सुनाया गया, जिन्होंने इसे संकलित किया। इस पुराण को सात्त्विक पुराण की श्रेणी में रख गया है।
गरूड़ पुराण में भगवान विष्णु, के विभिन्न अवतारों, ब्रम्हांड की उत्पत्ति व भौगोलिक संरचना, सृष्टि व देवी-देवताओं की वंशावली आदि के बारे में बताया गया है, परंतु मुख्य रूप से मृत्यु के बाद आत्मा की दशा का वर्णन है। इसके साथ विभिन्न प्रकार की तप-तपस्या, पूजन विधि-विधान, पापों के प्रायश्चित्त एवं दिव्य व पवित्र मंत्रों के बारें में विस्तार से बताया गया है। धर्म शास्त्र व धर्म नीति, ज्योतिष शास्त्र, पतिव्रत धर्म महत्व, अष्टांग योग, आत्माशुद्धि आदि का उल्लेख मिलता है।
गरूड़ पुराण की विशिष्टता इस तथ्य में है, कि केवल इस पवित्र पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति, पाप-पुण्य के अनुसार आत्मा की दशा व पुनर्जन्म के बारे में वर्णन मिलता है। इस पुराण में यमलोक, नरक लोक, प्रेत लोक व प्रेत योनि का विवरण भी स्पष्ट रूप से किया गया है। इसमें आत्मा् के जन्म-मरण के बंधन, कर्म सिद्वांत, कर्म फल व अशुभ कर्म या पाप के दंड का विस्तृत उल्लेख है। इसमें अंतिम संस्कार की विधि व मृत्यु के उपरांत एक वर्ष तक किये जाने वाले विभिन्न अनुष्ठान व दान-दक्षिणा के फल का वर्णन भी है।
गरूड़ पुराण में मृत्यु देव ‘यमराज’ द्वारा मनुष्य को अशुभ कर्म या पाप के लिए दिये जाने वाले दंड का वर्णन हैं। अपने सुख के लिए जीव-जंतुओं पर अत्याचार करने वालों को गर्म तेल में तला जाता है। इस प्रकार अलग-अलग पापों के लिए निर्धारित दंडों का वर्णन किया गया है।साभार गरुण पुराण जे डी सिंह
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