जौनपुर। त्रिभुवन दास महराज ने कहां कि हर जीव की अपनी एक कल्पना एक सोच होती हैं कि हम स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें,सुखी रहें, हमेशा संपन्न रहें तो हमारा सारा प्रयत्न कर्म इसी के निमित्त होता हैं परन्तु परिणाम विपरीत होता जा रहा हैं जबकि हजारों दवाओं के रहते हुए भी जीव अस्वस्थ हैं।लाखों साधनों के होते हुए भी अप्रसन्न हैं दुखी हैं अशांत हैं कारण कि वातावरण प्रदूषित हैं तो विचार प्रदूषित हैं इसी से कर्म प्रदूषित हैं।पूज्य महराज ने आगें कहां कि कलि केवल मल मूल मलीना पाप पयोनिधि जन मन मीना। इन सभी प्रदूषण को दूर करने का साधन यज्ञ हैं।जिससें वातावरण शुद्ध होगा,कर्म शुद्ध होगा दान से। इन सभी को मिलाकर जो सम्पूर्णता हैं।उसे यज्ञ कहते हैं।यज्ञ,यज् धातु से बना हैं और हमारी संस्कृति हमकों यज्ञ करने का आदेश देती हैं।श्री अष्टोत्तर सत् कुण्डात्मक श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं वृहद मानस सम्मेलन दिनांक 21-1-2018 से शुरु होगा और 31-1-2018 तक चलेगा। यज्ञ से लाभ प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुजन उक्त तिथि से शुरु हो रहें यज्ञ मे भाग ले और जीवन को सुखमय बनाएं। जेडी सिंह
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