*🙏🏼||ॐ||🙏🏼*
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*🌷नववर्ष कब?🌷*
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शक्तेषगढ।मिर्जापुर। परम पूज्य संत स्वामी श्री अड़गडानंद जी महराज के शिष्य लाले बाबा ने कहां कि भारत विभिन्न धर्मों को माननेवाला देश रहा है। यहाँ अलग-अलग धर्मावलंबियों द्वारा नव वर्ष की शुरुआत अलग-अलग समय पर होती है। वास्तव में इन सबसे हटकर विचार करने पर कहा जा सकता है कि प्राणी जब अपने अंदर विद्यमान अहंकार पर विजय प्राप्त कर ले और अविद्या से पार पाकर विद्या का ज्ञान हासिल कर ले , तभी उसके जीवन के नववर्ष का प्रारम्भ होना मानना चाहिए।
विश्व की सभी समस्याओं के समाधान का एकमात्र रास्ता है कि हर बच्चे, बूढ़े के हाथ में 'यथार्थ गीता' पहुँच जाए और वह उसका अध्ययन करने के बाद उसमें अपने प्रश्नों का समाधान कर ले। उसमें संस्कारों की नीव पड़ जाए। इससे सभी धर्मों एवं संप्रदायों के बीच की दूरी अपने आप समाप्त हो जाएगी। साथ ही विश्व को एक नए वर्ष के शुभारम्भ का निर्विवाद दिन मिल जाएगा।
नए वर्ष में लोगों को सच्चे गुरु की शरण में पहुँचने का प्रयास शुरू करना चाहिए। अब तक जो इस संसार में भटक रहे हैं, उन्हें सही रास्ता सच्चे गुरु, सच्चे संत की शरण में पहुँचने के बाद मिल पाएगा। संसार में न कभी कुछ नया हुआ है और न कभी कुछ पुराना होगा। केवल काल-परिवर्तन के साथ ऐसा लगता है कि यहाँ कुछ नया हुआ है, जबकि सब पूर्व से ही जुड़ा रहता है। केवल उसके पास पहुँचने के लिए सद्गुरु के पास तक प्राणी को पहुँचना होगा।
जैसे निकलते चन्द्रमा के प्रकाश का महत्त्व नहीं रह जाता है, उसी भाँति सच्चा गुरु या संत मिल जाने पर अंधविश्वास की जकड़न समाप्त हो जाती है। गीता उपदेश में भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो भी करता हूँ, मैं करता हूँ। मुझ पर विश्वास करो, कर्म करो और उसके फल में क्या मिलना है, यह मुझ पर छोड़ दो। अहंकार, मोह, माया जैसी आसुरी प्रवृत्तियों को जब तक नहीं त्यागोगे, संसार से सद्गति की आशा निरर्थक होगीं नए साल की शुरुआत मन को संवारने से करें। भगवान् श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली गीता को जानने से करें। 'यथार्थ गीता' को सर्वमान्य ग्रन्थ बनाने के लिए संसार को नए वर्ष में परमात्मा शक्ति प्रदान करें, यही यथार्थ होगा।
*||ॐ श्री परमात्मने नमः||*
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