शक्तेषगढ।मिर्जापुर।रविवार की सुबह में आश्रम परिसर मे श्रद्धालु भक्तों के बीच प्रवचन करते हुए स्वामी अड़गडानंद जी महाराज ने कहां कि परमात्मा एक हैं। जब हम पूर्ण रुप से एक परमात्मा का चिन्तन शुरु करेंगे तो सहज ही उसकी अनूभूति मिलने लगेगी। पूज्य महराज जी ने कहां कि साधना से ही मोक्ष मिलेगा। कहां कि श्वास-श्वास पर ओम का जाप करने से मन का बिकार दूर होता हैं। आत्मा - परमात्मा से जुड़ जाती हैं।बीज का नाश नहीं होता हैं।वह अंकुरित जरुर होती हैं।जैसे जिसका साधना छूट गया।दोबारा जन्म लेने पर साधना फिर वहीं से शुरु हो जाती हैं।महराज जी ने कहां कि भगवान का दरबार रंगमहल हैं।जिसमें अजीबों-गरीबों शहर हैं। कहां कि संत ईश्वर रुपी गुण को ग्रहण करते हैं,बिकार को छोड़ देतें हैं।ईश्वर अरुप हैं, अमूल्य हैं।भजन की जागृति होने पर उसका अनुभव मिलने लगता हैं और वातावरण का पता चल जाता हैं। भगवान की आकृति नहीं हैं।भजन की जागृति नहीं हैं तो उसका संदेश नहीं मिलेगा।सतगुरु के सानिध्य में सेवा करने पर भजन जागृत होता हैं। परमात्मा अमृत तत्व हैं।मृत्यु से परे हैं। इस अवसर पर जौनपुर जिले के नेवढ़िया थाना क्षेत्र स्थित शान्ति डोर कम्पनी बनेवरा के मालिक ओमप्रकाश विन्द ने भक्ति का ऐसा मिशाल पेश किया कि लोग उसकी भक्ति से प्रसन्न दिखे। कम्पनी के मालिक ने एक दरवाजा बनाया।जिसमें स्वामी अड़गडानंद जी महराज का फोटो हैं। जिसे श्रद्धा बाबा ने गुरु के चरणों में सप्रेम भेट किये। स्वामी जी ने जब दरवाजा देखा तो बोले हमारी फोटो न लगाकरके हमारे गुरु महराज का फोटो लगावो। यानि दादा गुरु की फोटो लगाने की अनुमति दी। जेडी सिंह
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