जौनपुर। उत्तर प्रदेश की मिट्टी मे भगवान ने जन्म लिया। राम और कृष्ण की पावन धरती से अब जात,पात की बू आ रहीं हैं।जिसकें दुर्गन्ध से जातीय विद्वेष चरम पर हैं। आज यूपी मे जिधर भी जाइए किसी से मिलिए पहले पूछता हैं,किस जाति के हैं।जाति,जाति से मिल गया तो आत्मीयता बढ़ जाती हैं। यदि दूसरी जाति के हैं तो विरादरी तो मिली नहीं तो लोग मन में हीन भावना रखतें हैं। खासकरके प्रदेश के गावों मे अभी भी उच,नीच,छुआछूत की भावना लोग रखते हैं।राजनीति मे भी जात,पात के हिसाब से समीकरण बनता रहता हैं। समाज मे बहुत सी जातियां शालीनता से गुजर बशर कर रहीं हैं और सौम्य और सुसभ्य वातावरण की पक्षधर दिख रहीं हैं।लेकिन कुछ ऐसी जातियां हैं, जिसमें कुछ लोग समाज के कमजोर लोगों को पीडा़ पहुचां रहें हैं। भारत देश के अन्य प्रान्तों में तो उतना नहीं खासकरके यूपी में जात,पात की भावना लोगों में ज्यादें दिख रहीं हैं। खास बात हैं कि जात -जात को पीडा़ दे रहीं हैं। जैसें कोई गांव हैं।जिस जात की बहुल्यता हैं। उस जाति वाला अन्य जातियों को पीडा़ देता रहता हैं। डर की वजह से लोग दो बात सुनकर रह जाते हैं।अपना दर्द किसी से बया नहीं करते हैं। समाज मे अराजकता का माहौल बना है। मानव जीवन के विकास में जात-पात बहुत बडा़ बाधा हैं।शासन,प्रशासन, सांसद,विधायक, मंत्री को जात-पात की भावनाओं से उपर उठकर मानवता और इंसानियत को बढा़वा देने की जरूरत हैं। जात पात जैसी हीन भावना रखनें वालों की वजह से अब यूपी मे रहनें की इच्छा नहीं हो रहीं हैं। भारत देश का दार्शनिक प्रदेश उत्तर प्रदेश जात -पात के विद्वेष मे सुलग रहा हैं। आसुरी प्रवृति के लोगों का दबदबा हैं। भगवान के भक्त को पीडा़ हैं। जिस धरती पर राम और कृष्ण ने जन्म लिया और समाज के लोगों को भक्ति का मार्ग दिखाया। आपस मे भाईचारा और प्रेम से रहनें का संदेश दिया। आज उसी धरती पर कुछ जाति के लोग आराजकता का माहौल बना,भगवान के भक्तों को पीडा़ पहुचां रहे हैं। गरीब भगवान का भक्त होता हैं।ईश्वर को अपने दिल में रखता हैं। गरीब की कोइ नहीं सुनता। लेकिन भगवान उसके मदद के लिए साक्षात खडे़ रहतें हैं। हर किसी की कोशिश होनी चाहिए जात- पात धर्म, मजहब से उपर उठकर सोचें और सभी जीवों पर दया करें। प्रेम परस्पर से जीवन यापन करें
जेडी सिंह सतगुरु दर्पण संपादक जौनपुर
Tuesday, 16 January 2018
यूपी में जात-पात की बू ,अब इच्छा नहीं होती यहां रहने की,आसुरी प्रवृत्ति के लोगों का दबदवा, भगवान के भक्त को पीडा़
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