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Tuesday, 20 February 2018

ग्रामीण परिवेश: समाज में ऐसे लोग सक्रिय, जो धनबल से युवाओं के संस्कार को खराब कर रहें हैं,यदि मैं किसी सत्य घटना का जिक्र करु तो श्मशान जाने मे देर नहीं लगेगी

जौनपुर। गाँव की प्रकृति बहुत अच्छी हैं। वातावरण में दिमागी फितुल हैं। नफरत हैं।बैर हैं।खानदानी कई पीढी़ की दुश्मनी हैं। हम अपने में बुराई नहीं देखते।दूसरों में  बुराई देखते हैं।मन मे पाप लोगों के ज्यादें हैं। जिसकी वजह से गांव में बिषमता हैं। गावों से अधिकांश लोग पलायन कर  मुंबई, कलकत्ता, दिल्ली, गुजरात जैसे शहरों में बसकर वहां की नागरिकता प्राप्त कर लिए है। गांव में कोई अवसर हैं, तभी आते हैं और जल्दी सें मौका बीतते ही शहर चले जाते हैं। यदि गांव का दौरा कर देखे तो पता चलता हैं ,ज्यादा लोग परदेश में हैं। घर पर बुजुर्ग और वच्चे ही दिखाई देते हैं। जो युवा हैं, पठन पाठन का कार्य कर रहें हैं। उनमें भी गांव का एक चलन बन गया हैं। संस्कार बिगाड़ने की। गावों मे कई पीढी़ की दुश्मनी रहती हैं।जिसें मौका पाकर ग्रामीण समय -समय पर साधते रहतें हैं। धन बल से गांव का धनवान सबकों अपनी अंगुली पर नचाना चाहता हैं। गांव वालों को शराब पिलाना, मांस खिलाना, मौकों पर सबकों दौलत देना। अराजक तत्व पाल कर रखना उनकी आदत बन गयी हैं। खास बात हैं कि अपनी हनक बरकरार रखने के लिए युवाओं के संस्कार को बिगाडा जाता हैं।युवक को तरह तरह का नशा करने का  गुण भी सिखाया जाता हैं। यहां तक की अपराध के लिए उकसाया जाता हैं। गांव मे शरीफ और सभ्य धनवान भी हैं। जो सौम्यता से जीवन यापन करते हुए गांव की संस्कृति और सभ्यता को बचाने का प्रयास कर रहें हैं। लेकिन वे परेशान हैं। कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों के आगें उनकीं नहीं चलती।क्योंकि गांव के लोग अधिकांशतः गलत व्यक्ति का स्पोर्ट करते हैं। जैसे गांव मे कोई धनवान हैं।वह गलत हैं।उसका संस्कार प्रदूषित हैं, वह चाहता हैं पूरा गांव हमारे जैसा हो जाय। ताकि हमें कोई कुछ कह न सके।तब वह क्या करता हैं, धन के बल पर गांव के युवाओं का लत खराब करता हैं। तरह तरह के हथकन्डें अपनाकर गांव के माहौल को खराब करता हैं।बहुत से लोग तो धन लेकर गुलाम बन जाते हैं। वे जीहजूरी मे ही अपना बडप्पन समझते हैं। कुछ को शराब मिल गया।मांस का टुकडा मिल गया।वे उसमें मस्त हो गये। गावों में छोटे-छोटे गोल होते हैं। जिनकी संख्या तीन से चार होती हैं। गांव में रहना हैं तो किसी न किसी गोल से जुडकर रहना होगा। अलग से कुछ गांव मे अच्छा करना चाहते हैं तो गोल के लोग जीना हराम कर देगें और कहीं न कहीं से अराजकता को जन्म देकर घर परिवार को बर्बाद कर देगे। गांव की प्रकृति मे शुद्ध आक्सीजन लोगों को जीने के लिए मिल रहा हैं।दुख की घडी़ मे गांव के लोग साथ देते हैं। गांवो में वर्चस्व की लडा़ई रहती हैं। ऐसा भी होता हैं गांव के लोग चाहे तो उजाड दे चाहे तो बसा दे। पहले गांवो मे सुमति था।आपसी भाईचारा था। रिश्तों में मीठास था।अपनापन था। लेकिन आज की स्थिति गांवो की बहुत खराब हैं। हर वक्त अराजकता का माहौल बना हुआ है। पारिवारिक कलह हैं। घरेलू हिंसा हैं। छोटी छोटी बात पर झगड़ा हैं।जमीनी विवाद हैं। पारिवारिक संपत्ति बटवारे को लेकर भाई की भाई से  भौहें तनी हैं। सबसे घातक हैं कुछ लोग धनबल से युवाओं के संस्कार को बिगाड़ रहे हैं। जो राष्ट्र के साथ अन्याय हैं।युवा भारत की शक्ति हैं। यदि सरकार धनबल से युवाओं के संस्कार बिगाड़ने वालों की खोज करें, तो बहुतों सामने आयेगे।यदि मैं किसी सत्य घटना का जिक्र करु तो श्मशान जाने मे देर नहीं लगेगी।क्योंकि धनबल जहां हैं वहीं बाहुबल भी हैं। जिसके पास धन का बल हैं उसके साथ किस्म, किस्म के लोग हैं, जो सहयोगी हैं। आज जरुरत हैं, ग्रामीण परिवेश मे आपसी भाईचारे के साथ जीवन यापन करने की। खानदानी दुश्मनी को भुलाकर प्रेम से एक दूसरे का सहयोगी बने और गांव की सभ्यता, संस्कृति, मर्यादा को सहेज कर रंखे। ताकि आज और कल दोनों अच्छा हो।जेडी सिंह संपादक सतगुरु दर्पण जौनपुर। हर हर महादेव

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