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Saturday, 17 March 2018

अत्याचार के समूल विनाश के लिए समय-समय पर मां दुर्गा का होता है अवतार, नवरात्र मे कलश स्थापना व कन्यापूजन का है विशेष महत्व

मुंबई। आम तौर पर विदित हैं कि सम्पूर्ण जगत धरती आकाश और पूरा ब्रह्माण्ड चलाने के लिए आदि शक्ति का शक्ति ही हैं जो अदृश्य रूप से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को संचालित करती है।    

नवरात्री हिन्दू धर्म का प्रमुख त्यौहार है जो की भारत देश में बहुत ही भक्तिमय भाव मे मनाया जाता है नवरात्री शब्द का अर्थ “नौ राते” यानी शक्ति की माँ देवी की नौ दिन और रात, जिसका मतलब ये नौ दिन शक्ति के देवियों का दिन होता है।

वैसे तो माँ दुर्गा की कृपा अपने भक्तो पर सदैव बनी रहती है लेकिन नवरात्रि में विशेष तिथि होने के कारण दुर्गा पूजा  और नवरात्री  का महत्व बढ जाता है हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नवरात्री वर्ष में 2 बार बड़े धूमधाम और भक्ति के साथ मनाया जाता है जो चैत्र और  अश्विन महीने में पड़ता है हिंदी अश्विन महीने में माँ दुर्गा   की मूर्ति की स्थापना की जाती है इस नवरात्री में भारत के हर शहर बाजारों में माँ दुर्गा के आगमन के लिए विशेष सुंदर पंडाल बनाये जाते है और माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की जाती हैै।    नवरात्रि में दर्शन देने के लिए स्वय चलकर मां दुर्गा गावो,शहरों गलीओं में आती है इसी मान्यता के चलते शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा पूजनोत्सव का आयोजन किया जाता है और बड़े बड़े पंडाल बनाकर माँ दुर्गा के स्वागत की तैयारी की जाती है और फिर नवरात्र में माँ दुर्गा के दर्शन से सभी भक्तो को अपनी मनचाही मुराद पूरी होती है।
पौराणिक कथाओ के आधार पर प्राचीन काल में महिषासुर नामक असुर ने अपनी तपस्या से श्रृष्टि रचयिता ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया फिर किसी भी पुरुष द्वारा उसका अंत न हो ऐसा वरदान पा लिया क्योकि उसे विश्वास था की कोई भी स्त्री इतनी ताकतवर नही है जो उसका वध कर सके, ऐसा वरदान पाने के बाद महिसासुर खुद को भगवान समझने लगा और फिर सम्पूर्ण जगत में अपने शक्तियों का दुरूपयोग करने लगा और सभी देवताओ सूर्य चन्द्र इंद्र वरुण अग्नि वायु को भी परास्त कर दिया जिससे देवताओ में हाहाकार मच गया

इसके बाद सभी देवता महिषासुर के अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए तीनो देवता ब्रह्माजी, विष्णु और शिव जी के पास गये और महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति का उपाय पूछने लगे जिसके फलस्वरूप तीनो देवो ने अपने शक्ति को मिलाकर एक अनंत शक्ति के रूप में माँ दुर्गा का अवतार दिया जो की स्त्री होने के साथ साथ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड मे सम्पूर्ण शक्ति की देवी माँ आदि शक्ति और माँ दुर्गा कहलाई

फिर माँ दुर्गा का सामना महिषासुर से हुआ और   प्रचंड युद्ध हुआ जो की लगातार 9 दिनों तक चला और अंत में माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया और सम्पूर्ण जगत को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई और माँ दुर्गा महिषासुर का अंत करने के कारण इनका नाम महिषासुरमर्दिनी भी पड़ा

माँ दुर्गा का महिषासुर के साथ 9 दिन तक चले युद्ध के कारण तभी से माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इसी तिथि में माँ दुर्गा का विशेष पूजन अर्चन किया जाता है और यह नौ दिन नवरात्र के रूप में पूरे भारत में माँ दुर्गा के आगमन का समय माना जाता है

इसके अलावा चैत्र महीने के नवरात्र में आखिरी दिन भगवान राम का भी जन्म हुआ था जिसे हिन्दू धर्म में रामनवमी   के रूप में त्यौहार मनाया जाता है जबकि अश्विन महीने के नवरात्र के पश्चात दशमी के दिन ही भगवान राम  ने रावण का वध किया था जिसके कारण इस दिन को पूरे भारत में विजयादशमी  के रूप में त्यौहार मनाया जाता है जो की बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतिक का त्यौहार है

नवरात्र की नौ देवियाँ
नवरात्र के 9 दिनों में माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है नवरात्री के हर दिन अलग अलग देवियों के पूजन के लिए खास होता है तो आईये जानते है माँ दुर्गा के 9 रूपों के नाम के बारे में.

प्रथम देवी – शैलपुत्री |  इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है

द्वितीय देवी – ब्रह्मचारिणी | इसका अर्थ ब्रह्मा जी के चरणो से उत्पन देवी

तृतीय देवी – चंद्रघंटा |  इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली देवी

चौथा देवी – कूष्माण्डा |  इसका अर्थ पूरा जगत उनके पैर में है

पाचवी देवी – स्कंदमाता |  इसका अर्थ कार्तिक स्वामी की माता

छठी देवी – कात्यायनी |   इसका अर्थ कात्यायन आश्रम में जन्मि

सातवा देवी – कालरात्रि  |  इसका अर्थ काल का नाश करने करने वाली देवी माँ

आठवा देवी – महागौरी |  इसका अर्थ सफेद वस्त्र धारण करने वाली देवी मां।

नौवी देवी – सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली

कहा जाता है की जो भी भक्त माँ दुर्गा के नवरात्री में विधिवत माँ दुर्गा के इन 9 रूपों की पूजा अर्चना करता है उसे अवश्य माँ दुर्गा का  आशीर्वाद प्राप्त होता है

नवरात्री में देवी माँ की पूजन विधि |  
हिन्दू धर्म मे मान्यताओ के अनुसार माँ दुर्गा दक्षिण दिशा में विराजती है इसलिए हम जब भी माँ दुर्गा की पूजा करे तो हमारा मुख दक्षिण या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए जिससे हम माँ शक्ति से सीधे रूप से जुड़ सकते है और माँ दुर्गा में अपना ध्यान लगा सकते है

माँ दुर्गा की पूजा का मुख्य ध्येय सभी भक्त माँ की कृपा और दया की इच्छा रखते है और माँ की शक्ति सदा बरसते रहे जिससे फिर कभी हम खुद को कमजोर न समझे और माँ शक्ति को दया और करुणा का रूप समझा जाता है जिससे माँ शक्ति बहुत ही जल्दी अपने भक्तो पर प्रसन्न हो जाती है इसलिए माँ दुर्गा की पूजा उपासना कभी भी सच्चे मन से की जा सकती है

माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्री में विशेष पूजा अर्चना का महत्व है और नवरात्री के 9 दिन अलग अलग देवी माँ को प्रसन्न करने के लिए पूजा किया जाता है जो सभी देविया माँ शक्ति के अलग अलग रूप है जिनके पुजन से माँ का आशीर्वाद सीधे रूप में मिलता है।

नवरात्री पूजा के लिए हिन्दू महिलाये और पुरुष नवरात्र के प्रथम दिन और अष्टमी के दिन व्रत रखती है और बहुत से लोग नवरात्र के 9 दिन व्रत का पालन करते है नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा के लिए कलश स्थापना का विशेष महत्व है

नवरात्री पूजन के लिए सबसे पहले अपने घर की पूरी साफ़ सफाई कर लेनी चाहिए फिर नवरात्र के प्रथम दिन हम सभी को स्नान पूर्ण करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए फिर अपने घर या आगन में माँ दुर्गा के लिए मंडप सजाना चाहिए और माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए और मूर्ति के दाई तरफ 9 कलश की स्थापना करनी चाहिए और सभी कलश के बाहर मिट्टी में जौ बो देना चाहिए जो की माँ दुर्गा के आशीर्वाद से सभी जौ 9 दिन में बड़े बड़े पौधे का आकार ले लेते है जो की माँ के.शक्ति के   परिचायक होते  है और इससे घरों में समृद्धि आती है।

सबसे पहले हिन्दू धर्म के प्रथम देवता भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए इसके पश्चात माँ दुर्गा की पूजा करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है

माँ दुर्गा के मूर्ति के दूसरी तरफ दीपक जलना चाहिए और यह दीपक रात में जरुर जलाये और शाम को विधिवत माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की जानी चाहिए और शाम को रोज माँ दुर्गा की आरती जरुर करनी चाहिए जिससे माँ दुर्गा अति शीघ्र प्रसन्न होती है

कन्यापूजन का महत्व।

वैसे बच्चे भगवान का ही रूप माने जाते है और माँ शक्ति के रूप में 9 देविया भी छोटी बच्चियों के रूप में अपने भक्तो के घर पधारती है इसी मान्यता के अनुसार नवरात्री के आखिरी दिन या दसवे दिन कन्यापूजन का भी विशेष महत्व है जब महिलाये 9 दिन नवरात्री व्रत पूरा कर लेती है तो फिर अपने अपने व्रत के अनुष्ठान के लिए कन्यापूजन का आयोजन किया जाता है जिसमे महिलाये बहुत ही शुद्ध रूप से छोटी कन्याओ के लिए भोजन बनाती है और फिर 9 कन्याओ को भोजन कराती है भोजन में प्रमुख रूप से सूखे चने की सब्जी, पूड़ी, हलवा बनाया जाता है और नारियल के टुकड़े और दान के रूप में अपनी इच्छा से पैसे भी दिए जाते है और पहले कन्याओ को चन्दन टीका लगाकर पूजा किया जाता है और उनको चुनरी का वस्त्र ढकने को दिया जाता है और हाथ में रक्षा बाधा जाता है और फिर श्रध्दाभाव से सभी कन्याओ को भोजन कराया जाता है इस प्रकार कन्यापूजन पूर्ण होता है जिससे माँ दुर्गा बहुत ही जल्दी प्रसन्न होती है और माँ के आशीर्वाद की कामना की जाती है

इस प्रकार यदि सच्चे मन से माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की जाय तो माँ दुर्गा अवश्य ही प्रसन्न होती है और माँ दुर्गा का आशीर्वाद हमे मिलता है। जेडी सिंह| सोनू सिंह

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