लखनउ गरम है।समर्थक रोड पर है।इस राजनैतिक घटनाक्रम को लेकर बहस छिड गयी।मुलायम पुत्र मोह मे नही है।परिवार वचाना है। बेटे से भी प्यार है।अखिलेश समर्थक ने जता दिया।सपा का वजूद मे कहीं न कहीं अखिलेश की गहरी पैठ है। पार्टी टूट की ओर है।लेकिन इस घटनाक्रम मे दिलचस्प है कि अखिलेश यदि जिद पर अडे रहे।तो सपा के सामने संकट है।राजनैतिक पंडितो की माने तो यदि अखिलेश को अगर मनाया नहीं गया तो पार्टी टूट सकती है।प्रदेश सरकार और सपा मे जंग छिड गयी है। देखिये आगे क्या होता।इतना जरुर है कि
अखिलेश की लोकप्रियता बढी।
जे डी सिंह
Friday, 30 December 2016
अखिलेश बने नेता,समाजवादियो ने अपनाया
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