जौनपुर। मानव दानवता की ओर तेजी से बढ रहा है। मानवता कमजोर पड रही है।मन पर अंकुश नहीं है। अंहकार चरम पर है। किसी को धन का तो किसी को बल का तो किसी को सोहरत का तो किसी को विवेकशील होने का अहंकार है।न जाने कब किस अवस्था मे प्रभु का दीदार हो जाय है। कहाँ नहीं जा सकता सकता। भारत की महानता के पीछे सबसे बडा कारण मानव दर्शन मे ईश्वरीय बोध का है। जीवन भटकाव की ओर है। सब तोप सिंह बन गये। हम किसी से कम नहीं मीडिया की पहल पर भी संसय है। वर्तमान मे मीडिया की भूमिका हो हल्ला मात्र है। बुराई पर फोकस ज्यादा है। अच्छा भी परोसा जाता है उतना नहीं जितना होना चाहिए। सोशल मीडिया मे आत्मीयचिन्तन के साथ अच्छे विचारो का आदान प्रदान होना शुरु हो जाय तो हृदय
परिवर्तन हो सकता है। कुछ विसंगतियो की वजह से सोशल मीडिया पर तंज भी होता है। लेकिन आज मीडिया की भूमिका को लेकर तरह तरह के सवाल है।वर्तमान मीडिया की दशा क्या है।शोषण उनका है। है जो अपने है जो उनके के लिए काम कर रहे है। अपमान भी उन्ही का है।मीडिया का अपना रुतवा है।धौस है।जलवा है।बातें सब ठीक है लेकिन नीरसता है। कुसोच है।मलीनता है। समाज क्यों इतना बिगड रहा है।
मीडिया सतर्क नहीं है। सोशल मीडिया सतर्क है।सच वायरल हो रहा है। मीडिया को सोशल मीडिया की सच्चाई का पता लगाना पड रहा है। जमाना बदल रहा।डिजिटल युग कीओर देश चल पडा है। ईमानदारी होगी। इमान की पवित्रता बनेगी।अहंकार भी टूटेगा।कोई ऐप्स आ जायेगा। अखबार जगत मे एक सम्मान होना चाहिए। बडा अखबार छोटा अखबार की बात नहीं होना चाहिए। ऐह युग मे छोटवरके बडबरके पर हावी होइहय देख लीहेय। बडा पत्रकार छोटा पत्रकार यह कुसोच है। अहंकार है। छिछेडपन है। एक दूसरे का सम्मान करना आदर्श संस्कार है।आत्मविश्वास को बल मिलता है। ईश्वरत्व की अनूभूति होती है। मेरे अन्दर भी अहंकार है।साधु संगत इस पर चिन्ता मे है।गुन्जाईश है कि सुधार हो सकता है। जय जिन्दाराम दास जगदीश सम्पादक सतगुरु दर्पण
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