सतगुरु धाम। होली आन्नद का रुप है।उल्लास है। जोश है। सबके अपने निराले शान है।खाने की मस्ती। पीने का आनंद। अपनो से मिलने का दौर।हसी ठिठोली सबके सबजन बहुराये है।भाग धतूरा खाये है। सुरा ,सुन्दरी मे लुगुधे होली का त्यौहार मनायो है। होली मनाने की चाहे जो भी परम्परा हो लेकिन भाव बहुत ही अनोखे आनन्द का क्षण है।आत्मा मे उल्लास है। तरह तरह के कलर मूल्यो के सूचक है। होली मनाने का अन्दाज हर किसी का जोरदार रहा। फिर अगले बरष
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