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Wednesday, 12 April 2017

दुनिया मे राम सत्य, जगत मिथ्या

जौनपुर। राम प्रकृति है। जिसमे जीवन है। राम नाम का करेन्ट सबमे दौड रहा है। युगो युगो से राम की पूजा होती आ रही है। राम ही जल है।वायु है।धरती है।आकाश है।राम अपनी सत्ता का मालिक है। जर्रे ,जर्रे मे वहीं दमक रहा है।
राम सबसे काम ले रहा है। जिधर भी  देखिए उधर राम ही दिख रहा है। जिसकी जैसी नजरिया है,वैसा दर्शन है। भाव ही भगवान है। हर रुप उसी का है। नजर जैसी होगी वैसा भाव प्रकट होगा। नजर मे पवित्रता है तो राम की सहज अनूभूति है। मलीनता है।मलेच्छता है तो आसुरी भाव प्रकट होगा। राम है।इसके बाद महाश्मशान है।राम का उल्टा होता है।मरा। राम जीवन मरण के बन्धन से मुक्त है। जीवो के कल्याण के लिए व अहंकारीओ के विनाश के लिए जीव राम बन जाता है। तहस नहस कर पापियो का नाश कर राम धर्म की स्थापना करते है। विश्व का कल्याण करते है। अयोध्या मे राम का जन्म हुआ है। हर मानवरूपी मन्दिर  मे राम विराजमान है। जीवन राम का खेला है।जिसमे तरह तरह का झमेला है। जिसने राम को जाना अमृत बूँद पाया। नहीं तो झमेलो मे उलझता गया। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मीडिया को दिए बयान मे बोले की राम अनादि काल से है। अयोध्या मे राममंदिर बने। मुसलमान और ईसाई दोनो चाहते है।लेकिन कुछ कट्टरपंथी व गुन्डे विरोध कर रहे है।दुनिया मे राम का ही अस्तित्व है। बाकी  जगत मिथ्या। दास जगदीश सतगुरुधाम वर्राह

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