सतगुरु धाम। जौनपुर।इन्सान उलझन मे है।उसे सुझ नहीं रहा है क्या करु क्या न करु। वह गलती से अपनो को ही पीडा दे रहे है। गांव का चरित्र जीवन निर्मल होने के बजाय मलीन होता जा रहा है। दुश्वारिया सर चढकर बोल रही है। महिला पुरुष दोनो का मन अशान्त है। अहंकार रुपी वैचारिक टकराव है। बडो का संस्कार बिगड रहा है। आने वाला कल जो भारत का भविष्य है। उस पर भी ग्रहण है। गांवो के प्रति सरकार की अवधारणा बने और आपसी भाईचारा का पहल हो। सरकारी मुलाजिम गांव मे विश्राम कर गाव की दशा और दिशा को ठीक करे। पहले लोग ईमान के पक्के थे। नीयत ठीक थी। अब खोट आ गया है।जिसकी वजह से कोई किसी पर विश्वास नहीं कर रहा है।गांव मे कुछ ऐसे भी लोग है जो वच्चो को गलत रास्ते पर चलने को उकसाते है।पैसे भी खर्च करते है। शराब,गाँजा ,भाग ,बीड़ी सिगरेट पीने के लिए पैसे भी देते है।युवा मन को इतना भटका दे रहे है कि बाप बेटे मे तनाव हो जाता है।माता भी परेशान है।
वही गांव मे कुछ ऐसे लोग है जो लोगो के दुख मे मदद करते है।गांव का भला चाहते है। कुछ लोग गांव मे अशांति चाहते है। गांव की सरकार ग्राम प्रधान के घर तक सिमित है।वही सेक्रेटरी साहब आते है।लेखापाल साहब आते है। ग्राम पंचायत सदस्य का पंचायती वयवस्था मे कोई मतलब नहीं है न ही पूछ है।जो रुतबा है प्रधान जी का है।पंचायती राज्य वयवस्था गावो मे फिसड्डी सावित हो रहा है।यू पी सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी आप की नजर गांव की तरफ हो। आप गांव मे विश्राम कर जरा गांव के दुख दर्द को समझे और आत्मिक विकास पर जोर देने की कृपा करे। दास जगदीश-जय जिन्दाराम
Wednesday, 19 April 2017
गांवो मे वच्चो को गलत रास्ते पर ले जाने का होता है खेल ताकि घर परिवार बर्बाद हो सके
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