Social Icons

Sunday, 30 April 2017

गांव मे खाबदान को लेकर होती है गुटो मे सियासत

सतगुरु धाम।जौनपुर। गांवो मे जब शादी -विवाह,प्रीति भोज ,मरनी करनी का आयोजन  होता है तो उस समय खाबदान होता है।जिसमे गोत -परोत सगे सम्बन्धी भोजन करते है। गांव के बाहर से जो लोग आते है उनका अच्छे से सत्कार होता है और भोजन कर लोग अपने अपने घरो को जाते है। गांव मे गुटवाजी है। बर्राह गांव मे वत्सगोतीवंश क्षत्रिय मे चार गुट है। जिसमे सबका अपना अपना तेवर है। एक गुट दूसरे गुट को बौद्धिक क्षमता का इस्तेमाल कर मात देना चाहता है। खानदान पहले लोग एकजुट करते है।इसके बाद दूसरा खानदान जोडते है। गुटो मे तोडने की भी  नीति होती  है। एक गुट मे अमूमन पच्चास से लेकर सौ की संख्या होती है। जैसे किसी बात पर किसी  भी  गुट को कोई गुट छोडता है तो उसकी बडी सासत होती है।हालाँकि दूसरा गुट स्वीकार्य कर लेता है। खाबदान के जरिये एक दूसरे को अलग थलग करने की कोशिश होती है। गुटो मे सदैव तनाव बना रहता है। भोरापुर पडराव मे भी  खाबदान पर बहस चल रही है। तीन की जगह चार गोल बन गया है। पाण्डेय लोगो मे खाबदान मे कौन किसके साथ भोजन करेगा कौन नहीं करेगा इस बात पर वर्तमान समय मे चर्चा हो रही है। दरअसल खान पान का बहुत असर होता है।पहले लोग बहुत सोच समझकर किसी के यहाँ खाना खाते थे। पानी पीते थे। गावो मे  पीढ़ी दर पीढ़ी से खाबदान की परपम्परा चली आ रही है। जिस व्यक्ति मे विशेष सामाजिक दोष होता था उसको अजाति कहकर लोग खाबदान से अलग कर देते थे। आज भोज भात कर समाज मे ले ले रहे है। गांव मे बुराई पर ज्यादे चर्चा है। अच्छाई का विरोध है। जमीनी विवाद चरम पर है। ग्राम समाज की जमीनो पर कब्ज़ा है। पंचायती राज्य व्यवस्था प्रधानो तक सिमित है।पंचायत भवन विरानगी की दशा मे आसू बहा रहा है। ग्राम विकास अधिकारी कभी कभार प्रधान से मिले नहीं तो अपनी आफिस पर ही प्रधान जी को बुला लिये। प्रधान भी  वोट की राजनीति मे सही व्यवहार सभी लोगो से नहीं कर पा रहे है। हालाँकि कुछ अच्छी सोच के प्रधान अच्छा कर रहे है। जिनकी जनता जनारदन मे चर्चा है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का फोकस ग्राम पंचायतो की तरफ है। देखिए कितना गांव सुधरता है।वक्त बतायेगा। हर गांव स्मार्ट बन सकता है।इतनी कूबत है। क्योंकि गांवो की प्रकृति बहुत ही खूबसूरत है। चकरोड का विवाद समाप्त हो जाय। उस पर से अतिक्रमण हट जाय। जल निकासी की व्यवस्था हो जाय। गवही राजनीति मे विकास की बात हो। अभी तो गांव को विनाश की राजनीति हो रही है।हर गांव मे कुछ छुटभैये नेता अपनी राजनीति चलाने मे सबको परेशान किये है। गांवो से जो निकलकर देश परदेश गया वह वही बस गया। गाव आया भी  तो जल्दी से मुंबई शहर चला गया। जरुरत है गांव की सरकार चेते और गावो को भव्यता देने के साथ सुन्दर सोच का सृजन करे। जिससे लोगो का हृदय परिवर्तित हो सके। जे डी सिंह

No comments:

Post a Comment