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Monday, 5 June 2017

शराब,डीजे,डान्स,शादी -विवाह और मारपीट

जौनपुर। हिन्दू धर्म मे शादी -विवाह की पुनीत परम्परा रही है। युवा दंपति  पवित्र वचन के साथ सात फेरे लेकर शादी के पवित्र बन्धन मे बधकर गृहस्थ जीवन मे प्रवेश करते है।सिंदूर दान,कन्या दान के साथ घराती बराती आत्मिक भाव मे एक दूसरे से प्रेम भाव मे मिलना जुलना करते है। जिस गांव मे बारात आती थी। सभी  ग्रामीण अतिथि देवो भव:की मान्यता के तद्नुरुप बारातियो का आवभगत करते थे।आज शादी विवाह मे जिस ढंग का प्रदर्शन हो रहा है।उससे ऐसा लगता है,पवित्र धर्म मे कुरीति आ गयी है। पहले मधुर धुन मे बैन्ड बाजा बजते हुए द्वारपूजा लगता था।माताए मधुर गीत गाती थी।द्वारचार का परिदृश्य बहुत ही मनोहारी लगता था। गांव की महिलाये गाली गीत गाती थी। बारात पक्ष उनको बख्शीश देता था।आज भी मान्यताओ का पालन हो रहा है। कुछ शादीया ऐसी होती है।जिसमे परम्परा का पूरा ध्यान होता है।
सादगी रहती है। बडा पवित्र व निर्मल भाव रहता है। ग्रामीण परिवेश मे वर्तमान समय मे जो शादी विवाह मे हो रहा है।
जो प्रचलन बढा है।वह बेहद चिन्तनीय है।डीजे बाजा और युवाओ का शराब पीकर नाचना फिर मारपीट अब आम बात हो गयी है।मारपीट के बाद घराती-बराती दोनों परेशान होते है। डीजे बजने से लोगो को परेशानी भी  होती है। तेज आवाज के साथ अश्लील गाने वातावरण को बेहद फूहड़ बना रहे।बराती जब नाच रहा है तो ठीक है।जब उसमें घराती नाचना शुरु करता है तो मारपीट की नौबत आ जाती है।पांच जून को नेवढिया थाना क्षेत्र के बर्राह गांव मे छोटे लाल यादव के यहां बारात आयी थी। डीजे के गाने पर बाराती नाच रहे थे।घराती भी  ब रातियो मे घुसकर नाचना शुरू किये तो बारातियो ने विरोध किया। काफिला आगे बढा अन्त मे घराती के यहां कुछ मुंबई से आये थे उनसे और गांव के कुछ युवको से नाचने को लेकर मारपीट हुआ।जिसमे लात घूसे चले। गांव के कुछ संभ्रांत लोगो के समझाने पर मामला शांत हुआ। बर्राह गांव मे अराजकता चरम पर है।कुछ युवा ऐसे है जो अनावश्यक झगड़ा करने पर अमादा रहते है। शायद उनके अभिवावक भी  उनसे परेशान है या अराजकता को बढावा दे रहे है। कमोवेश हर गांव मे अराजकता का माहौल है। पहले हल्का सिपाहीओ का हनक होता था। हर शरारतीतत्वो पर उनकी नजर होती थी।जरा भी  कोई युवक इधर उधर होता था तो पुलिस उनके अभिवावक को चेतावनी देते थे और उस युवक को समझाते थे।अच्छे से रहो। अब हल्का सिपाही  बैक डियूटी करता है।बाक़ी जो समय मिलता है अन्य कामो मे लगा देता। आज गांव असुरक्षित है। संभ्रांत लोगो के लिए गांव मे जीवन यापन करना मुश्किल काम है।पहले चौकीदार देखने पर लोग  काप जाते थे। आज पुलिस को लोग कुछ भी  नहीं समझते। जबकि पुलिस जब अपने पर आ जाती है,तो अच्छे अच्छे लोग पसीना फेकने लगते है। पुलिस तन्त्र निष्पक्ष और स्वतंत्र रुप से काम नहीं कर पा रही है।वोट की राजनीति मे पुलिस दबाब मे काम कर रही है। ऐसा मेरा मानना है। डीजे के गाने पर नाचने की कुप्रथा बढ़ती जा रही है। गत दिनो नेवढिया थाने के ही परशुरामपुर मे हरि के यहाँ बरात आयी थी।जिसमें नाचने को लेकर घराती बराती मे मारपीट हुई। इन घटनाओ की पुलिस मे किसी ने भी  सूचना नहीं दी। वर्तमान मे जरुरत है,डीजे को पूर्ण रुप से  शादी विवाह मे बन्द कर दिया जायl  गांवो  मे भटके हुए  युवको को सही रास्ते पर लाने का अभिवावक प्रयास करे। गावो मे अच्छा परिवार ,अच्छे रास्ते पर चलने वाले भी  युवा है। लेकिन कुछ ही शरारती युवा पूरे गांव के माहौल को खराब कर रहे है।गांवो मे मनुष्य का जीवन शूकून व शांति से  व्यतीत हो सके इसके लिए पुलिस के उच्चाधिकारियो का ध्यान इस ओर आकृष्ट हो और गांव मे फैली अराजकता समाप्त हो।जे डी सिंह

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