शक्तेषगढ।चुनार। धरती पर जो भी आया है।उसे शरीर छोडना ही है। जाना है। कहाँ जाना है। यह विरला को ही पता है।कहाँ सेआये है।कहाँ जाना है। गुरु कृपा है, तो आवागमन से छुटकारा मिल जाता है। आत्मा ईश्वरीय शक्ति मे मिल जाती है। परमहंस आश्रम नवहानीपुर, कछवा,वाराणसी के संत स्वामी मुक्तानंद,मुखिया बाबा गत शुक्रवार को सुवह मे देह त्यागदिये। निधन की खबर सुन भक्तो का रेला पूज्य संत के अन्तिम दर्शन को नवहानीपुर आश्रम मे उमड पडा। भक्तो मे शोक था। दिन शनिवार २२ जुलाई को आश्रम परिसर मे संत परम्परा के तहत समाधि दी गयी। भक्तो ने अश्रुपूरित नयनो से भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुये,समाधि स्थल पर फूल माला चढाये। मुखिया बाबा सन् १९८० मे पूज्य संत स्वामी अड़गडानन्द जी महाराज से गुरूमुख हुये और भजन के बल पर महापुरुष की श्रेणी को प्राप्त किये। गुरू पूर्णिमा के अवसर पर प्रतिवर्ष मुखिया बाबा सबसे पहले गुरु पूजा करते थे। अभी कुछ दिनो पहले शक्तेषगढ आश्रम गये थे। गुरु महाराज का दर्शन पूजन कर नवहानीपुर आश्रम लौट आये। संत दूसरों के दुख से दुखी होता है। भक्त के कल्याण के लिये संत उसकी पीड़ा को स्वयं ले लेता है। जिसे झेलता है और अन्त मे शरीर का परित्याग कर सतलोक पहुंच जाता है। मुखिया बाबा के यश कीर्ति का सदैव गुणगान होता रहेगा। समाधि स्थल पर फूल माला चढता रहेगा। आस्था मे भक्त शीश नवाता रहेगा। यहीं है गुरू कृपा, धरती पर हर जीव की गति है। पंचतत्व मे सबको विलीन होना है। मुखिया बाबा ईश्वरीय तत्व मे मिलकर भक्तो का कल्याण करते रहेगे। मुखिया बाबा के अन्तिम दर्शन हेतु नारद भगवान ,लाले महाराज जी,सोहम बाबा,तुलसी बाबा जी,बद्री बाबा जी सहित हज़ारों भक्त पहुँचे थे। जे डी सिंह / अवनीश मिश्रा
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हरिः ऊँ 🙏🙏
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