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Tuesday, 22 August 2017

मरने के समय जीव रोता है,कटुता रखने वालो को होगा नरक

सतगुरु धाम।जौनपुर। व्रम्हा के यहाँ से जीव चलता है।माँ के गर्भ मे आता है।जब गर्भ से धरती पर आता है तो माया मे फसकर परमात्मा को याद करना भूल जाता है। जबकि भगवान ने कृपा करके मनुष्य बनाया है।उक्त बातें अशोक मिश्र आचार्य वर्राह गांव मे हरिहर सिंह के मृत्यु पर आत्मा के शान्ति के लिये आयोजित गरुड़ पुराण कथा मे कहीं।उन्होनें कहां कि मौत के बाद जीव तेरह दिन तक अपने परिवार मे रहता है। वह देखता है जिस परिवार के लिये हमने अपना सारा जीवन बीता दिया,वह मेरे लिये क्या करता है। इसके बाद जीव की शुद्धि होती है। करम के अनुसार उसे योनि मिलती है। तमाम योनि मे जीव भटकता है। ईश्वर विशेष कृपा करके मनुष्य बनाता है।मनुष्य योनि मे भेजने का जो अभिप्राय है ,परमात्मा चाहता हर जीव मुक्ति धाम यानि ईश्वर के घर पहुचे। जो उसका असली घर है। उन्होनें कहाँ कि आँख से कान से मुह से मनुष्य का प्राण निकलता है।जो सिद्ध संत है उनका प्राण व्रम्हरन्ध से निकलता है। कहाँ की यमराज के बाल बडे बडे होते है। नख बडा ,बडा होता है। उनको देखकर जीव घबरा जाता है। भगवान को सबका हित पसन्द है। जो धर्म करे, कुआँ खुदवाये,तालाब खुदवाये,प्यासे को पानी पिलाये,भूखे को भोजन दे वह मनुष्य ईश्वर के लिये प्रिय है। महाराज जी सज्जन व असज्जन के बारे   मे बताया कि जो दूसरों को पीड़ा देता है। सताता है। अपार क्रोध रखता है वह असज्जन होता है। सज्जन मे सज्जनता झलकती है। मधुर वाणी होती है। लोगो के प्रति स्नेह होता है। लोगो का आदर सम्मान करते है।यानि की मर्यादा मे रहते है। विद्या विवाद के लिए नहीं है।दूसरों को बताने के लिये है। भगवान ने धन,बल,शक्ति दिया है तो दुसरो का सहयोग करे। मृत्यु सत्य है।अच्छे करम करके भगवान से जुड़ने का प्रयास करे। इस अवसर पर जिलेदार सिंह,प्रदीप सिंह सुनील सिंह ,जेडी सिंह,दिलीप सिंह, छेदी सिंह,अरविन्द सिंह वकील, सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।आकाश सिंह

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