बनारस। सतगुरु दर्पण न्यूज ग्रुप मे आज के सुप्रभात मे जगदीश प्रसाद सिंह ब्यूरो चीफ वाराणसी एक वीडियो भेजे। जब उसे डाउन लोड किया तो जिस भजन के लिए एक हफ्ते पहले से चिन्तन कर रहा था,जब गाने के बोल को सुना, अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाउ। खुशी हुई। इस भजन पर खबर लिखने की मंन्शा थी।सो पूरी हुई। भजन लिखने वाले,गाने वाले साधुवाद के पात्र है। समाज की स्थिति बेहद खराब है। रावण एक प्रवृत्ति है। जो दोषपूर्ण है। वर्तमान समय मे कलेश चरम पर है।प्रेम का अभाव बना हुआ है। अहंकार मे लोग इतने पागल हो गये है कि अपने को ही सब कुछ समझ रहे है। गलतीओ और गलतफहमी मे जीने की लोग आदत बना लिए है। धरती से आह निकल रही है। जीवो को यातना मिल रहा है। इस भजन मे लेखक ने राम के आदर्श जीवन को दर्शाया है।किस पर भरोसा किया जाय जिसे समझते हो तुम अपना,जडे खोदता आज वहीं है। भक्ति मे हनुमान जैसा दास ढूंढ कर कहाँ से लाउ। इधर कलयुग बैठा मार कुन्डली जाउ तो मै कहाँ जाऊ। बुराई चरम पर है।जिसका प्रसारण तेज है। अच्छाई पर चर्चा कम है। बुराई बतियाने मे लोगो को महारथ हासिल है। झूठ को साच बनना ,साच को झूठ बनाना लोगो का शगल बन गया है। लेकिन सत्य;सत्य ही रहता है। आसुरी प्रवृत्ति को मन मे फटकने न दे। बुराई हारेगी और अच्छाई जीतेगी। मन ही रावण हैlजो भरमाता है,भटकाता है। छल करता है।कपट करता है।निन्दा ,चुगली ,फरेब, इसकी आदत बन गयी।आत्मा की आवाज सुने और उसी हिसाब से अपने जीवन को आगे बढाये। विधि का विधान अटल सत्य है। जो होना है होके रहेगा। करम गति टारे नाही टरी। हरहरमहादेव। जे डी सिंह
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