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Friday, 29 September 2017

भारत देश विकास कीओर ,नैतिकता व चरित्र विनाश की ओर

पटना। परमहंस आश्रम वख्तियारपुर के स्वामी श्रद्धा बाबा ने कहाँ कि देश का आम नागरिक अवधारणा बना ले कि हमे गलत करने वालो का विरोध करना है। वह चाहे जो हो। कोई एक गलती करता है तो सारे समाज को गलत कहना ठीक नहीं है।चाहे जो देशकाल रहा हो अच्छाई बुराई दोनों साथ रहती है। जो जैसे संस्कार मे पला बढा है।उसका वैसा चरित्र बन गया है।विश्व का माहौल खराब चल रहा है। अहंकार के आग मे सभी जल रहे है। उन्होनें कहाँ कि नैतिक मूल्यो मे गिरावट आयी है। चरित्र की पवित्रता बरकरार नहीं है। अच्छाईऔर बुराई वाले समाज मे कोई सुखी है तो कोई दुखी है। कोई गा रहा कोई रो रहा। सभ्य समाज के सृजन को सभी आगे आये। भारतदेश  महान है।उसकी महानता मे पवित्र आत्माओ का वर्णन है। शूरबीरो की गौरव गाथा है। तुलसी दास ने लिखा है।साधु से होई न कारज हानि। संत कभी  बुरा नहीं हो सकता है। कहाँ कि जो संत नहीं है असंत है जीन्स पहनते है।विजनेश करते है।धर्म के नाम पर लोगो को धोखा  देते है। भारत देश की पवित्र संस्कृति का प्राण है संत। जो दूसरों को आईना दिखा रहे है ओ खुद अपनी तस्वीर  आईने मे देख ले। मतलब समझ मे आ जायेगा। बुराई की सफाई करना और सभी जीवो के कल्याण के लिए भगवान से अनवरत प्रार्थना करना,सभ्यता की ओर जनमानस को उन्मुख करना संत की गति है। ॐ ॐ। जे डी सिंह 

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