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Monday, 11 December 2017

भारत देश के महान वैज्ञानिक लालजी सिह के सोच और खोज की दुनिया कायल रहेगी

जौनपुर। जिले के निवासी विश्व के प्रख्यात वैज्ञानिकों मे शुमार लालजी सिंह की दिव्य आत्मा का आलोक बना रहेगा। मानव हित मे इनके प्रासंगिक विचार बने रहेंगे। पूज्यमान की स्थिति मैं सदैव याद किये जायेंगे। जीवन का सत्य मौत हैं।लेकिन यह दुख की घडी हैं। अपनों के बीच से जाने की।आत्मा की समूह से जब कोई विछुडता हैं तो  ढेर सारी आत्माए रोती हैं, विलखती हैं।जब कोई  विछडता हैं तो दिल को पीडा होती हैं।पंछी पिजरा हुआ पुराना द्वार खुले उड जाना। परमात्मा की देखरेख मे चोला इधर से उधर हो रहा हैं। आत्मा की गति एक हैं।परमात्मा से मिलना। मौत साक्षात ईश्वर की बन्दगी हैं।जो सर्व धर्म समभाव को साक्षात प्रलक्षित कर रहा हैं। मौत को सभी सिजदा करते हैं।कोई किसी प्रकार का भेदभाव नहीं हैं।मौत को याद करना ईश्वर को याद करना है।पुण्य आत्मा लालजी सिंह के व्यकतित्व, कृतित्व, की जनमानस मे चर्चा हैं।शोक की लहर हैं। प्रिन्ट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, आज के युग की सबसे तगड़ी मीडिया, सोशल मीडिया मे ख्याति लब्ध वैज्ञानिक के मृत्यु का दुख है।विकिपीडिया के अनुसार लालजी सिह भारत के नामी नू -जीवविज्ञानी थे।लिंग निरधारण का आणविक अधिकार,डी एन ए फिंगरप्रिंट, वन्य जीव संरक्षण,रेशम कीट,जीनोम विश्लेषण, मानव जीनोम एंव प्राचीन डी एन ए अध्ययन आदि  उनकी रुचि के प्रमुख विषय रहे।दास जगदीश सतगुरु दर्पण संपादक

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