शक्तेषगढ।मिर्जापुर। राष्ट्र संत स्वामी अडगडानंद जी महाराज के शिष्य लाले बाबा ने कहां कि दुनिया भर की साहित्य को पढने और अनेक उपाधियों को अर्जित करने के बाबजूद भी यदि आप अपने जीवन की अपनी स्वयं की किताब पढने से वंचित रह गये तो समझ लेना आपका सारा ज्ञान, सारी विद्याए,महाभारत के उस पात्र करण के समान.हैं।जो आवश्यकता पडने पर अपने द्वारा अर्जित ज्ञान को ही भूल गया था।जीवन की सबसे सुन्दर और उपयोगी शिक्षा अगर कोई हैं तो वो हैं स्वयं का अध्ययन।आज का आदमी स्वाध्याय करना जानता हैं मगर स्वयं का अध्याय पढना नहीं जानता।इससें वह प्रगति के पास पहुंच कर भी अपने से बहुत दूर चला गया हैं। सुबह जागो तो विचार करो कि कल मैंने कौन सा ऐसा पाप किया जो रातभर नींद नहीं आयी।रात को सोते वक्त विचार करो.कि कल मैने ऐसा कौन सा पुण्य किया जिसके कारण शान्ति का अनुभव कर रहा हूं।विचार करो कि मेरे कारण किसी के आख मे आसूँ तो नहीं आये।यह विचार करो मेरे कारण कितने लोगों के चेहरे पर हसी आयी।अतः जीवन ही वो सच्ची किताब हैं।जिसे पढकर आप आन्नद, शान्ति, और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जेडीसिंह
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