जौनपुर। जिला जेल में शनिवार को इस्कॉन द्वारा संत पृथुदास के आयोजकत्व में आनंद महोत्सव का आयोजन किया गया।जिसमें बंदी कैदियों के बीच भक्ति की रसधारा बहीं।तृप्ति का भाव पाकर बंदी कैदी आन्नदमयी मस्तीं में दिखें।खूब तालियां बजायी।राम कृष्ण नाम के कीर्तन गाये। संत के सवाल का जबाब दियें।गलतियों को एहसास कियें। पृथुदास ने कैदियों के बीच प्रवचन करते हुएं कहां कि हम सभी चोर और पापी हैं। उपस्थित लोगों कों बोलने के लिए कहां तो सबने बात को दोहरायी। दास ने कहां कि हर जगह उसकी उपस्थिति हैं।कर्ता वहीं हैं।जिस दिन आमजनमानस मे ईश्वर का बोध ह्दय मे होने लगेगा। मन की गन्दगी साफ हो जायेगी। गलती हमारी हैं।हम अपने मे दोष नहीं देखते। दूसरें मे देखते हैं। शेख अपनी देख। हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा। हर वक्त आनंद मे रहा जा सकता हैं।वशर्ते हमारा चिन्तन ईश्वरीय हो जाय। सबके मन में पाप हैं।पुण्य कम हो रहा हैं।जीव दुखी हैं। जब सबमें भगवान को देखने लगेगें तो प्रेम का भाव जागृत होगा। आत्मा परमात्मा से मिल जायेगीं। भगवान का हम ले रहें हैं। सबकुछ उसका हैं। उससें क्या कोई पूछता हैं क्या। जब पूछ नहीं रहे हैं तो चोरी ही न कर रहें हैं। धर्म का आचरण सही तरीके से न करने की वजह से हम सभी पापी हैं। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ। तत्पश्चात शैलेंद्र सिंह रिंकू के बासुरी का धमाल चला। मधुर मधुर धुन सबको नीक लागों। सबने बादन की सराहना की ताली बजाकर। राम और कृष्ण नाम का संकीर्तन उपस्थित जनों मे भक्ति का बोध कराकर ईश्वरीय प्रेम के भाव को उत्पन्न कर रहा था। टीडी कालेज के प्रबन्धक अशोक सिंह अपने संबोधन मे राम और कृष्ण के गुढ़ तत्व को लोगों के सामने रंखा। जेल अधिकारी ने आध्यात्मिक मर्मज्ञता से उपस्थित जन के भाव में ईश्वर के रस को घोला। जेब्रा संस्था के संजय सेठ ने विशिष्टजन, बंदी माता. पिता के उपर फूल वर्षा कर कार्यक्रम को दिब्यता प्रदान कियें।कैदियों ने भजन गाये।अपने विचार रंखे। नाचें और तालियां बजायी। कार्यक्रम के बाद श्रीमद्भगवदगीता भाष्य यर्थाथ गीता और यथारूप गीता सभी कैदियों में वितरित किया गया। आनंद महोत्सव में अखिलेश तिवारी अकेला वरिष्ठ पत्रकार, पंकज सिंह, निखिलेश सिंह, जेडी सिंह, सहित पुलिस के अधिकारी व बंदी माता पिता उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन सुशील वर्मा ने किया। विचारों के तालमेल से आपने संचालन के गति से सबकों बाधें रंखा और अनमोल बचन बोले। दास जगदीश सतगुरु धाम
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